Bihar News: ACS केके पाठक के निर्देश के बाद बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सुधार देखा जा रहा है. जहां अब स्कूलों में शिक्षक समय पर पहुंच रहे हैं तो वहीं कई स्कूलों में साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. शिक्षा व्यवस्ता में सुधार के साथ ही बिहार के सरकारी स्कूलों के हेडमास्टरों को नया टास्क दिया गया है. टास्क के हिसाब से अब स्कूलों के प्रिंसिपल को बोरा बेचने का काम मिला है. सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लग रहा है, लेकिन यह सही खबर है. सरकारी स्कूलों के हेडमास्टर को टास्क मिला है कि वह 20 रुपये प्रति बोरा के हिसाब से बोरा बेचे.
प्रिंसिपल को दिया बोरा बेचने का काम
आदेश के अनुसार बोरा ना सिर्फ बेचना है, बल्कि उस पैसे को सरकारी खाते में जमा कराना भी है. वैसे पहले शिक्षा विभाग ने बोरे का प्राइज कुछ और तय किया था और हेडमास्टर को बोरा बेचने का काम दिया था. दरअसल, राज्य के हर स्कूल में मिड डे मिल के लिए अनाज दिया जाता है. जिस बोरे में अनाज भेजा जाता है, उसे बेचने का टास्क हेडमास्टर को दिया गया है. पहले मिड डे मिल के खाली बोरे की कीमत 10 रुपये प्रति बोरे के हिसाब से लगाया गया था, लेकिन अब सरकार को लग रहा है कि बोरे की कीमतें बढ़ चुकी है. जिसको देखते हुए हेडमास्टर को 20 रुपये में एक बोरा बेचने का निर्देश दिया गया है.
20 रुपये की दर से बोरा बेचेंगे हेडमास्टर
जिसके बार में शिक्षा विभाग के निदेशक मिथिलेश मिश्रा ने सभी जिलों को पत्र लिखा है और कहा है कि पहले निदेश दिया गया था कि मध्याहन भोजन योजना अन्तर्गत आपूर्ति किए गए बोरे को 10 रुपये की दर से बेचा जाए, लेकिन बोरा का यह रेट 2016 में निर्धारित किया गया था, तब से लेकर अभी तक बोरे के रेट में वृद्धि हुई है. वहीं, राज्य सरकार के पत्र में कहा गया है कि प्रधानाध्यापक के द्वारा बोरा बिक्री के बाद जो पैसे मिलेंगे, उसे जिलों में संचालित राज्य योजना मद के तहत खोले गये बैंक खाते में जमा करेंगे.
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