आज, 25 अक्तूबर, शनिवार से छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय से आरंभ होता है। इस दिन व्रती सुबह स्नान करके घर को पवित्र करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। नहाय-खाय के साथ ही छठ पर्व की धार्मिक परंपरा की शुरुआत होती है, जो चार दिनों तक चलती है और उषा अर्घ्य अर्पित करने के साथ समाप्त होती है।
छठ महापर्व के दौरान व्रतधारी कई नियमों और शास्त्रीय निर्देशों का पालन करते हैं। पहले दिन नहाय-खाय में शुद्धता, संयम और सात्विकता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दिन सही प्रकार से नियमों का पालन करना पूजा के पूर्ण फल की प्राप्ति के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है। ऐसे में आइए जानें कि छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय में कौन-से नियमों का पालन करना चाहिए।
- नहाय-खाय के दिन सबसे पहले पूरे घर को पूरी तरह साफ और स्वच्छ रखें। पूजा स्थल, रसोई और घर के अन्य हिस्सों की पवित्रता का विशेष ध्यान दें।
- व्रती प्रातःकाल उठकर स्नान करें और शरीर को पूरी तरह स्वच्छ करें। यह न केवल शारीरिक स्वच्छता के लिए आवश्यक है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी यह अनिवार्य माना जाता है।
- नहाय-खाय के दिन व्रती को नए वस्त्र पहनने की सलाह दी जाती है। यदि नए वस्त्र न हों तो कम से कम साफ-सुथरे और पवित्र कपड़े पहनें।
- नहाय-खाय से पहले सूर्य देव को जल अर्पित करना अनिवार्य है। यह सूर्य देव के प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट करने का प्रतीक है।
- नहाय-खाय का भोजन तैयार होने के बाद सबसे पहले इसे सूर्य देव को भोग के रूप में अर्पित करें। इसके बाद ही व्रती और परिवार के अन्य सदस्य भोजन ग्रहण करें।
- इस दिन भोजन पूरी तरह सात्विक होना चाहिए। नहाय-खाय के दिन लहसुन, प्याज या अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें।
- नहाय-खाय में आमतौर पर कद्दू की सब्जी, लौकी, चने की दाल और भात (चावल) खाने की परंपरा है। यह भोजन स्वास्थ्य और धार्मिक दृष्टि से शुभ माना जाता है।
- तैयार किया गया भोजन सबसे पहले व्रती को ही ग्रहण करना चाहिए। परिवार के अन्य सदस्य व्रती के भोजन के बाद ही खाएं।
- नहाय-खाय के दिन सिर्फ व्रती ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार को सात्विक भोजन करना चाहिए। इससे घर में भक्ति, शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
नहाय-खाय का महत्व
छठ पूजा में नहाय-खाय पर्व की शुरुआत होती है और इसे अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रती प्रातःकाल उठकर तालाब, नदी या घर पर स्नान करते हैं। स्नान के समय व्रती अपने शरीर और मन को पूरी तरह शुद्ध करते हैं ताकि वह छठ पूजा के दौरान भक्ति, श्रद्धा और संयम के साथ अपने व्रत का पालन कर सकें।
नहाय-खाय का मुख्य उद्देश्य व्रती को सात्विक आहार ग्रहण करने के लिए तैयार करना है। इस दिन व्रती हल्का, पौष्टिक और शुद्ध भोजन करते हैं, जो उनके शरीर को ऊर्जा देता है और उन्हें मानसिक रूप से भी स्थिर और सकारात्मक बनाता है। सात्विक भोजन का सेवन करने से न केवल शरीर को लाभ मिलता है, बल्कि यह धार्मिक रूप से भी पूजा की पवित्रता बनाए रखने में मदद करता है।
इसके अलावा नहाय-खाय व्रतधारी को छठ पूजा की पूरी प्रक्रिया के लिए मानसिक और आध्यात्मिक रूप से तैयार करता है। यह दिन व्रती के अंदर सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन का संचार करता है, जिससे वह चारों दिन के उपवास और सूर्य देव व छठी मैया की पूजा-अर्चना को पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ कर सके।

