प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने Jharkhand Land Scam मामले में सोमवार को रांची की एक विशेष अदालत के समक्ष अपना पहला आरोप पत्र दायर किया है। इस मामले में आईएएस अधिकारी छवि रंजन सहित 10 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है। एजेंसी ने एक बयान जारी कर कहा कि उसने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामले के संबंध में 74.39 करोड़ रुपये के वाणिज्यिक (कॉमर्शियल) मूल्य के दो भूखंडों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है।
एजेंसी ने बताया कि 4.55 एकड़ का एक भूखंड राजधानी रांची के बरियातू क्षेत्र (वाणिज्यिक मूल्य 41.51 करोड़ रुपये) में स्थित है, जबकि दूसरी अचल संपत्ति 7.16 एकड़ शहर के बाजरा क्षेत्र (वाणिज्यिक मूल्य 32.87 करोड़ रुपये) में स्थित है। इसने कहा, भू-राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से भू-माफिया के पक्ष में इन भूखंडों को फर्जी तरीके से बदला गया है। पहला भूखंड पहले सेना के नाम पर था। इसमें कहा गया है कि अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) 12 जून को दायर की गई है।
एजेंसी ने 2011 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी छवि रंजन सहित कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। छवि रंजन पहले राज्य समाज कल्याण विभाग के निदेशक और रांची के उपायुक्त के रूप में काम कर चुके हैं। इस मामले में भू-राजस्व विभाग के एक पूर्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद को भी गिरफ्तार किया गया है। सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं। धनशोधन का यह मामला प्रदीप बागची के खिलाफ रांची नगर निगम की शिकायत के आधार पर राज्य पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी से उपजा है।
एजेंसी ने कहा कि कथित धोखाधड़ी झारखंड में सक्रिय भू-माफिया के एक रैकेट से संबंधित है और जो कोलकाता और रांची में विरासत के रिकॉर्ड बनाती थी। ईडी ने आरोप लगाया कि जाली भूमि रिकॉर्ड के आधार पर इस तरह के भूखंडों को अन्य लोगों को बेच दिया गया। ईडी ने कहा कि जांच के तहत उसके द्वारा कुल 41 छापे मारे गए और पांच सर्वेक्षण किए गए और उसके अधिकारियों ने इस कथित फर्जीवाड़े को दर्शाने वाली कुछ तस्वीरों, सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के ‘सबूत’ आदि के अलावा भू-राजस्व विभाग की ‘जाली’ मुहरें, भू-अभिलेख, ‘अपराध की आय’ के वितरण के रिकॉर्ड जब्त किए।
मनरेगा घोटाला: निलंबित आईएएस अधिकारी के पति ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया
निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा ने राज्य में कथित मनरेगा घोटाले से जुड़े धनशोधन के एक मामले में अग्रिम जमानत के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। 2000 बैच की आईएएस अधिकारी सिंघल खूंटी जिले की उपायुक्त रहने के दौरान 18.07 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन के गबन से जुड़े कथित घोटाले में मुख्य आरोपी हैं।
अदालत ने सोमवार को अभिषेक झा से अपनी याचिका की एक प्रति प्रवर्तन निदेशालय को देने को कहा। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए शुक्रवार की तारीख तय करते हुए कहा कि वह उस दिन जांच एजेंसी को नोटिस जारी करने के सवाल पर विचार करेगी।
झा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उन्होंने झारखंड उच्च न्यायालय के 18 मई के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उन्हें मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि झा ने 20 जून, 2011 को सिंघल से शादी की थी और आरोप है कि उन्होंने अपने बैंक खातों में सिंघल से अपराध की कमाई प्राप्त की है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने अदालत को सूचित किया कि वह मामले में ईडी का प्रतिनिधित्व करेंगे।
Jharkhand Land Scam
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