संत जेवियर्स कॉलेज, रांची के प्राणिविज्ञान विभाग एवं 1/3 कॉय एनसीसी ने आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के तत्वावधान में स्तन कैंसर जागरूकता और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर दो प्रभावशाली जागरूकता सत्रों का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इन पहलों ने समग्र कल्याण के महत्व को रेखांकित करते हुए छात्रों को शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य को समान रूप से प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया।
मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता वार्ता का आयोजन 10 अक्टूबर 2025 को फ्र. प्रूस्ट हॉल में 1/3 कॉय एनसीसी, सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची द्वारा IQAC के सहयोग से किया गया। इस कार्यक्रम की शोभा मुख्य अतिथियों — डॉ. सुयश सिन्हा (कंसल्टेंट साइकिएट्रिस्ट), डॉ. निदा मकबूल (काउंसलिंग साइकॉलजिस्ट) तथा श्रीमती अंकीता सरकार (काउंसलिंग साइकॉलजिस्ट, नर्व एंड माइंड, चर्च कॉम्प्लेक्स, रांची) — की उपस्थिति से बढ़ी।
वक्ताओं ने लगभग 100 कैडेट्स को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े शुरुआती लक्षणों की पहचान, सहायता प्राप्त करने की आवश्यकता तथा मानसिक तनाव से जूझ रहे लोगों के लिए एक सहयोगी वातावरण तैयार करने के महत्व के बारे में संवेदनशील बनाया। उन्होंने प्रभावी कॉपिंग स्ट्रैटेजीज़ (सामना करने की रणनीतियाँ) साझा कीं और मानसिक बीमारियों से जुड़े कलंक को कम करने के लिए खुली बातचीत के महत्व पर बल दिया।
कॉलेज की स्वास्थ्य जागरूकता पहलों को आगे बढ़ाते हुए, स्तन कैंसर जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें 90 विद्यार्थियों और 10 संकाय सदस्यों, जिनमें भारती सिंह रायपत(विभागाध्यक्ष, प्राणिविज्ञान विभाग), सुश्री मौली चक्रवर्ती, डॉ. मनोज कुमार एवं सुश्री रमिता कुमारी शामिल थीं, ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस सत्र की शोभा डॉ. मनीका वर्मा (कंसल्टेंट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी) तथा सुश्री प्रियदर्शिनी मैथ्यू (सहायक चिकित्सा स्टाफ, रांची कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र) की उपस्थिति से बढ़ी।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के सम्मान के साथ हुआ, जिसके पश्चात कॉलेज के प्राचार्य रेव. फा. रॉबर्ट प्रदीप कुजूर एस.जे. द्वारा स्वागत भाषण दिया गया।
वक्ताओं ने अपने व्याख्यान में स्तन कैंसर की प्रारंभिक पहचान, नियमित स्व-परीक्षण तथा समय पर जांच की आवश्यकता पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने रोग से जुड़ी सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ने और इससे प्रभावित लोगों के प्रति करुणा एवं सहयोग की भावना विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। यह सत्र जागरूकता, रोकथाम और सामूहिक सहयोग की शक्ति की एक प्रेरणादायक याद दिलाने वाला सिद्ध हुआ।
दोनों सत्रों का संचालन ए.एन.ओ. कैप्टन डॉ. प्रिया श्रीवास्तव के सक्षम निर्देशन में किया गया तथा कार्यक्रम का समापन वक्ताओं और प्रतिभागियों के प्रति हार्दिक आभार प्रकट करते हुए किया गया।
इन जागरूकता कार्यक्रमों ने न केवल विद्यार्थियों को शिक्षित किया, बल्कि उन्हें स्वास्थ्य, सहानुभूति और कल्याण के प्रति प्रवक्ता बनने की प्रेरणा भी दी — जिससे एक ऐसे समाज का निर्माण हो सके जो शारीरिक एवं मानसिक दोनों स्वास्थ्य को समान महत्व देता है।