चतरा जिले के पिपरवार स्थित सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) की अशोक परियोजना में कोयला परिवहन प्रणाली में भारी अनियमितताओं का मामला सामने आया है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, लोकल सेल से निकलने वाले कोयले पर ट्रक मालिकों और DO (Delivery Order) होल्डरों से 60–70 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली की जा रही है।
इस कथित उगाही ने पूरे क्षेत्र में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि हर महीने लाखों रुपये का अवैध कारोबार चलाए जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।
कैसे हो रहा है अवैध वसूली का खेल?
सूत्रों का कहना है कि यह उगाही अत्यंत संगठित नेटवर्क के माध्यम से की जा रही है, जिसमें शामिल हैं—
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स्थानीय पुलिस तंत्र के कुछ लोग
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स्वयंभू विस्थापित नेता
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कोयला परिवहन से जुड़े बिचौलिए
प्राप्त जानकारी के अनुसार:
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40–45 रुपये प्रति टन पुलिस तंत्र से जुड़े लोगों तक पहुँचता है
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20–25 रुपये प्रति टन कथित विस्थापित नेताओं में बाँटा जाता है
यानी एक सुविचारित रैकेट लंबे समय से इस उगाही को चला रहा है।
हर महीने कितनी होती है उगाही?
CCL की अशोक परियोजना से लोकल सेल के माध्यम से:
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1.00 से 1.50 लाख टन कोयले का परिवहन प्रतिमाह किया जाता है
इस आधार पर—
कुल अवैध वसूली: 60 लाख से 90 लाख रुपये प्रति माह
इन आंकड़ों से साफ है कि कोयला परिवहन के नाम पर चल रहा यह सिस्टम हर महीने बड़ी रकम को काले धन में बदल रहा है।
प्रशासन पर गंभीर सवाल
इस संगठित उगाही नेटवर्क में पुलिस की कथित संलिप्तता ने सुरक्षा और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय ट्रक मालिकों, DO धारकों और परिवहन से जुड़े लोगों ने बताया कि—
“अवैध वसूली नहीं देने पर गाड़ियों को रोका जाता है, डराया जाता है और कोयला लोडिंग में बाधा डाली जाती है।”
क्या होगी आगे की कार्रवाई?
फिलहाल जिला प्रशासन और CCL प्रबंधन की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
हालांकि, आरोपों की गंभीरता को देखते हुए संभावित है कि—
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उच्च स्तरीय जांच
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पुलिस की भूमिका की समीक्षा
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CCL सुरक्षा तंत्र की कार्रवाई
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भ्रष्टाचार विरोधी इकाइयों का हस्तक्षेप
जैसी कदम उठाए जा सकते हैं।

