उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के एक दर्जन उगवादी पुलिस के डर से हजारीबाग से गिरिडीह और चतरा जिला जंगलों में मारे फिरे चल रहे है। सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भी आम लोगों के बीच लेवी वसूली तथा एन आपराधिक वारदातों को लेकर उग्रवादियों की लोकप्रियता काफी घटी है। इसमें एक करोड़ का इनामी उग्रवादी रघुनाथ हेंब्रम उर्फ अनमोल दा भी शामिल हैं।
वह गिरिडीह पीरटांड़ थाना क्षेत्र के रहने वाला है। जो रविवार की रात मुठभेड़ में मार गया। वहीं विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के मंदरी निवासी माओवादी सेंट्रल कमेटी के सदस्य अनुज पूर्व सहदेव सोरेन उर्फ प्रवेश उर्फ अनमोल भी मृतकों में शामिल है। उस पर 25 लाख रुपए का इनाम था। वहीं हजारीबाग जिले के केरेडारी थाना क्षेत्र के 10 लाख का इनामी नक्सली वीरसेन गंझू उर्फ रामखेलावन गंझू भी मुठभेड़ में मारा गया। उसके ऊपर 10लाख रुपए का इनाम दर्ज था।
मारे गए उग्रवादी अगर आत्म समर्पण कर देते तो इनाम की राशि के साथ मिलती अन्य सुविधाओं का लाभ : जिले के गोरहर थाना में मारे गए तीनों उग्रवादी अगर आत्म समर्पण कर देते तो उन्हें घोषित इनामी राशि के साथ राज्य सरकार के अन्य सुविधाओं का लाभ मिलता। बताते चले की झारखंड में आठ करोड़ 45 लाख रुपए के 55 उग्रवादी मोस्ट वांटेड है। इन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने झारखंड पुलिस को टास्क दिया है। कहा है कि जो इन्हें पकड़वायेंगे या इनका पता बताएंगे। घोषित इनाम की राशि उन्हें मिलेगी।
अगर इनामी उग्रवादी स्वयं आत्म समर्पण करते हैं तो इनाम की राशि उन्हें मिलेगी तथा राज्य सरकार की आत्म समर्पण नीति के तहत मिलने वाले अन्य सुविधाओं के हकदार होंगे मगर मारे गए तीनों उग्रवादी अपनी हठधर्मिता पर अड़े रहे और संगठन का विस्तार करने में लगे थे। लेकिन उनकी हर एक्टिविटी पर खुफिया संगठनों की नजर थी। कुछ दिन पहले झारखंड के आईजी अभियान माइकल राज ने सभी इनामी उग्रवादियों से आत्म समर्पण करने की अपील की थी। लेकिन दशकों से फरार इन तीनों उरवादियों पर कोई इसका असर नहीं पड़ा। अंततः इन्हें मुठभेड़ में पुलिस की गोली से जान गंवानी पड़ी। अगर वह हठधर्मिता को छोड़ आत्मसमर्पण कर देते तो घोषित इनाम राशि के भी हकदार होते और राज्य सरकार से मिलने वाले अन्य सुविधाओं का भी दावेदार भी होते।