झारखंड की जनसंख्या अब चार करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। राज्य सरकार के सांख्यिकी निदेशालय की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2011 से 2024 के बीच राज्य की कुल आबादी में करीब 69 लाख लोगों की वृद्धि हुई है। 2011 की जनगणना में झारखंड की जनसंख्या 3.30 करोड़ थी, जो अब बढ़कर लगभग 3.99 करोड़ हो गई है। यानी, औसतन हर घंटे राज्य की जनसंख्या में 60 से ज्यादा लोग जुड़ते रहे हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि जनसंख्या वृद्धि के मामले में सबसे आगे लातेहार जिला है, जिसने राजधानी रांची और गिरिडीह को भी पीछे छोड़ दिया है।
आंकड़ों के अनुसार, झारखंड के लातेहार जिले में 2011 से 2024 के बीच 5,84,335 लोगों की वृद्धि दर्ज की गई है, जो राज्य में सबसे ज्यादा है। लातेहार एक ग्रामीण और वन बहुल इलाका है, जहां सीमित संसाधनों के बावजूद इतनी बड़ी आबादी वृद्धि ने विशेषज्ञों को भी हैरान किया है। राजधानी रांची जनसंख्या वृद्धि में दूसरे स्थान पर है। यहां 2011 में 29,14,253 की आबादी थी, जो 2024 में बढ़कर 34,08,388 हो जाने का अनुमान है। यानी 4,94,135 लोगों की वृद्धि। रांची पहले से ही ट्रैफिक, जल संकट, बिजली और आवास जैसी शहरी समस्याओं से जूझ रहा है, ऐसे में यह बढ़ती आबादी नागरिक सुविधाओं पर और दबाव डालेगी। तीसरे स्थान पर गिरिडीह जिला है, जहां करीब 4,38,869 लोगों की वृद्धि दर्ज की गई है। गिरिडीह मुख्यतः ग्रामीण जिला है और यहां बड़े पैमाने पर पलायन होता है, इसके बावजूद इतनी बड़ी वृद्धि नए विकास समीकरण बना सकती है।
कई जिलों में धीमी जनसंख्या वृद्धि
जहां लातेहार, रांची और गिरिडीह जैसे जिलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है, वहीं कुछ जिलों में जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार काफी धीमी रही है। पाकुड़ में केवल 71,455 और लोहरदगा में 1,10,383 लोगों की वृद्धि का अनुमान है। कम वृद्धि दर इन जिलों में नियंत्रण और स्थिरता का संकेत देती है, हालांकि पलायन को भी इसका कारण माना जा रहा है।
हर महीने 44 हजार लोग
अगर राज्य में हुई कुल 69 लाख की वृद्धि को 13 साल के औसत में बांटा जाए, तो यह पता चलता है कि झारखंड की आबादी हर साल करीब 5.30 लाख, हर महीने 44 हजार, हर दिन 1,450, और हर घंटे लगभग 60 लोगों से बढ़ी है। इस रफ्तार से झारखंड आने वाले वर्षों में 4 करोड़ की सीमा पार कर लेगा, जिससे संसाधनों और आधारभूत ढांचे पर भारी दबाव पड़ना तय है।
अरबन-रूरल दोनों इलाके बढ़े
रिपोर्ट के अनुसार, जनसंख्या वृद्धि सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है। रांची, धनबाद, जमशेदपुर जैसे शहरी इलाकों के साथ-साथ लातेहार, गुमला, सिमडेगा जैसे ग्रामीण जिलों में भी वृद्धि दर उल्लेखनीय है। यह दर्शाता है कि आबादी का फैलाव अब छोटे जिलों और ग्रामीण इलाकों में भी तेज़ी से हो रहा है, जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी, बिजली, सड़क और रोजगार जैसे क्षेत्रों में नई चुनौतियाँ खड़ी होंगी।
तेजी से बढ़ता “यंगिस्तान”
रिपोर्ट बताती है कि झारखंड की जनसंख्या में सबसे बड़ा हिस्सा युवा वर्ग का है। इसका सीधा मतलब है कि राज्य के लिए रोजगार सृजन, स्किल डेवलपमेंट और औद्योगिक विकास को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है। 69 लाख की जनसंख्या वृद्धि में लगभग 60% हिस्सा 15-35 वर्ष की उम्र के लोगों का होने का अनुमान है। यह वर्ग अगर रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर पाए, तो राज्य की आर्थिक ताकत बन सकता है, अन्यथा बेरोजगारी और पलायन जैसी समस्याएँ और गंभीर होंगी।
विकास योजनाओं में बदलाव जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़ा केवल जनसंख्या का नहीं, बल्कि विकास का नया संकेतक है। अब सरकार को अपनी योजनाएँ जिला-विशेष रणनीति के तहत बनानी होंगी। लातेहार, रांची और गिरिडीह जैसे हाई-ग्रोथ जिलों पर विशेष फोकस करना होगा, जहां जनसंख्या के साथ-साथ संसाधनों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
सांख्यिकी निदेशालय की चेतावनी
सांख्यिकी निदेशालय के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि अगर मौजूदा रफ्तार जारी रही, तो 2030 तक झारखंड की आबादी 4.5 करोड़ को पार कर सकती है। ऐसे में सरकार को जनसंख्या नियंत्रण, रोजगार सृजन और बुनियादी ढांचे पर एक साथ काम करना होगा।

