Nari Shakti Bill: जिस मकसद के साथ नये संसद में विशेष सत्र का आह्वान किया गया था, उसके पहले अध्याय का श्रीगणेश महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन अधिनियम लोकसभा में पेश कर दिया गया। केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लोकसभा में किया था। इससे पहले नये संसद भवन में दिये गये अपने सम्बोधन भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के बारे में जानकारी भी दी। महिला आरक्षण विधेयक 2010 में लाए गए विधेयक से अलग होगा और इसमें संसद और विधानसभाओं से आगे अन्य निकायों में भी महिलाओं को आरक्षण देने का प्रावधान हो सकता है। नारीश शक्ति वंदन अधिनियम पर बुधवार को लोकसभा में चर्चा होगी।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम की मुख्य बातें
- महिलाओं को लोकसभा और अलग-अलग राज्यों की विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा।
- अधिनियम के कानून बनने के बाद सदन में महिलाओं की संख्या बढ़ जाएगी। महिला आरक्षण की अवधि फिलहाल 15 साल रखी गई है। इसकी अवधि बढ़ाने का अधिकार लोकसभा के पास होगा।
- नारी शक्ति वंदन अधिनियम परिसीमन लागू किये जाने के बाद लागू होगा। उम्मीद है, इसकी शुरुआत 2027 से हो जायेगी।
- अधिनियम के कानून बनने के बाद संसद में कम से कम 181 महिला सांसद नजर आयेंगी।
- महिला आरक्षण में रोटेशन के आधार पर एक तिहाई सीटों पर महिलाओं को आरक्षण दिया जा सकता है।
इससे पहले पीएम मोदी ने कहा, “महिलाओं को अधिकार देने, उन्हें शक्ति देने जैसे पवित्र कामों के लिए शायद ईश्वर ने मुझे चुना है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। स्पेस हो या स्पोर्ट्स हो, दुनिया महिलाओं की ताकत देख रही है। जी20 में महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की चर्चा हुई। दुनिया इसका स्वागत कर रही है, स्वीकार कर रही है। दुनिया समझ रही है कि सिर्फ महिलाओं की विकास की बात पर्याप्त नहीं है। हमें मानव जाति की विकास यात्रा में नए पड़ावों को अगर प्राप्त करना है, राष्ट्र की विकास यात्रा में नई मंजिलों को पाना है तो महिलाओं के नेतृत्व में विकास को बल दें।
बता दें 1996 से ही महिलाओं को संसद में आरक्षण देने की मांग की जा रही है। 2010 में यूपीए सरकार में भी महिला आरक्षण विधेयक संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में पेश किया गया था। वहां से विधेयक पास भी हो गया था, लेकिन सहयोगी पार्टियों को दबाव के चलते यह विधेयक लोकसभा में नहीं लाया जा सका।
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