प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल को बिहार के मधुबनी से पाकिस्तान को चुनौती देते हुए कहा था… ‘आतंक के अड्डों को धूल में मिला देंगे.’ अब जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिये इस संकल्प को जमीन पर उतार दिया गया है, प्रधानमंत्री उसी बिहार की धरती पर एक विजयी संदेश के साथ लौट रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 मई से दो दिवसीय बिहार दौरे पर रहेंगे. यहां वे आतंकवाद के खिलाफ भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर लोगों को एक बार फिर बड़ा संदेश दे सकते हैं.
प्रधानमंत्री का यह दौरा बेहद व्यस्त रहने वाला है, जिसमें वे कई राज्यों में रैलियां करेंगे, रोड शो करेंगे और उन परिवारों से मिलेंगे जिन्होंने आतंक की कीमत चुकाई है. इस दौरान वे आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना के पराक्रम से लोगों को रूबरू कराएंगे.
प्रधानमंत्री मोदी 29 मई की सुबह 10:45 बजे सिक्किम पहुंचेंगे, जहां वे पल्लजोर स्टेडियम में सिक्किम राज्य दिवस के अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करेंगे. इसके बाद दोपहर में वे पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार पहुंचेंगे, जहां एक सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.
प्रधानमंत्री शाम को वापस पटना लौट आएंगे. वे करीब 5 बजे पटना एयरपोर्ट पहुंचेंगे और वहां नए टर्मिनल का उद्घाटन करेंगे. इसके साथ ही एक जनसभा को संबोधित करेंगे और उसके बाद बीजेपी मुख्यालय तक एक विशाल रोड शो करेंगे, जो एक घंटे से अधिक चल सकता है.
प्रधानमंत्री मोदी उस रात पटना में ही रुकेंगे और अगले दिन सुबह वे बिहार के बख्तियारपुर के लिए रवाना ह जाएंगे. पीएम मोदी वहां एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे. माना जा रहा है कि बिहार में होने वाली इस रैली से प्रधानमंत्री ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर एक बड़ा संदेश देंगे. बिहार में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, और यह दौरा राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी 30 मई की दोपहर उत्तर प्रदेश के कानपुर जाएंगे, जहां वे पहलगाम हमले में शहीद हुए शुभम द्विवेदी के परिवार से मुलाकात करेंगे. वे कानपुर के सीएसए ग्राउंड में एक विशाल जनसभा को भी संबोधित करेंगे.
प्रधानमंत्री मोदी 31 मई को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक अन्य जनसभा को संबोधित करेंगे. यह सभा खासतौर पर महिलाओं के लिए आयोजित की जा रही है और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मद्देनजर यह आयोजन खास महत्व रखता है.
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा जहां आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति को दर्शाता है, वहीं आने वाले चुनावों को देखते हुए यह राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.