प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने भारत में एक देश एक चुनाव यानी वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। बुधवार को मोदी कैबिनेट ने बैठक में देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। जानकारी के मुताबिक, दोपहर 3 बजे मोदी कैबिनेट की मीटिंग में लिए गए फैसले पर ब्रीफिंग दी जाएगी।
32 राजनीतिक दलों का समर्थन
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर 62 पार्टियों से संपर्क किया था और इस पर जवाब देने वाले 47 राजनीतिक दलों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया। रिपोर्ट के अनुसार, कुल 15 पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा चुनाव
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसके बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा-पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे और इसके 100 दिन बाद स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कमेटी के सुझावों पर देश भर में चर्चा होगी। सभी से आह्वान है कि इस पर अपनी जरूर दें। इस व्यवस्था से लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी, खर्च बचेंगे।
मौजूदा कार्यकाल में ही लागू कराएंगे- अमित शाह
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा था कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लागू करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के मौके पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि हमारी योजना इस सरकार के कार्यकाल के दौरान ही ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की व्यवस्था लागू करने की है। बता दें कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बीजेपी द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में किए गए प्रमुख वादों में से एक है।
क्या होंगे एक साथ चुनाव के फायदे
- चुनाव पर होने वाले करोड़ों के खर्च से बचत।
- बार बार चुनाव कराने से निजात।
- फोकस चुनाव पर नहीं बल्कि विकास पर होगा।
- बार-बार आचार संहिता का असर पड़ता है।
- काले धन पर लगाम भी लगेगी।