देवघर में गुरूवार का दिन एक ऐतिहासिक क्षण रहा। जब देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देवघर एम्स के प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। AIIMS के प्रथम दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने हाथों 48 MBBS में से चार को मेडल और पांच को उपाधि दिया। समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देवघर एम्स से उनका एक खास नाता रहा है। राष्ट्रपति ने भावुक होते हुए कहा कि जब 25 मई 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संस्थान का शिलान्यास किया था, तब वह झारखंड की राज्यपाल थीं और आज इस पहले दीक्षांत समारोह की साक्षी बनने का अवसर भी उन्हें मिला है।डॉक्टरों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि देवघर, जो भगवान भोलेनाथ की नगरी है, वहां एम्स की स्थापना वास्तव में “शिव और शक्ति” दोनों के प्रतीक के रूप में है। उन्होंने कहा — “मैं भगवान को मानती हूं, लेकिन भगवान बिना हाथ-पैर के होते हैं, आप सभी डॉक्टर उनके हाथ-पैर हैं।”राष्ट्रपति ने कहा कि लोग आज वेदों और गीता से ज्यादा डॉक्टरों की सलाह पर भरोसा करते हैं।उन्होंने बताया कि एम्स देवघर ने बीते 6 वर्षों में 5 आदिवासी गांवों को गोद लेकर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे और भी गांवों को गोद लेकर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएंगी। “भगवान ने आप सभी को सेवा के लिए हाथ-पैर दिए हैं, इस जिम्मेदारी को निभाइए बाबा नगरी में राष्ट्रपति का यह दौरा, न सिर्फ गर्व का विषय रहा बल्कि स्वास्थ्य और सेवा के क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार भी किया।
संताली रिति रिवाजों से हुआ स्वागत
राष्ट्रपति के स्वागत के लिए देवघर एयरपोर्ट पर विशेष तैयारी की गयी थी। एयरपोर्ट के बाहर संताली रिति रिवाजों और परंपराओं के अनुसार स्वागत की तैयारी दिखी। एयरपोर्ट में राष्ट्रपति की अगुवाई के लिए राज्यपाल संतोष गंगवार और राज्य की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।
दो दिवसीय दौरे पर राष्ट्रपति
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दो दिवसीय झारखंड दौरे के पहले दिन वो देवघर में थी, जहां उन्होंने एम्स के पहले दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। देर शाम वो रांची लौट आयीं और एयरपोर्ट से सीधे राजभवन के लिए रवाना हो गयी। राष्ट्रपति राजभवन में रात्री विश्राम करेंगी और दूसरे दिन यानि शुक्रवार को वो धनबाद के IIT-ISM के 45 वें दीक्षांत समारोह में शामिल होंगी।