रांची: झारखंड में एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लिया गया है। राज्य सरकार ने राज भवन, झारखंड का नाम बदलकर अब “लोक भवन, झारखंड” कर दिया है। यह बदलाव राज्य की शासन व्यवस्था में एक प्रतीकात्मक लेकिन महत्वपूर्ण संदेश देता है—शक्ति अब सिर्फ राजसत्ता की नहीं, बल्कि जनता की है।
क्यों बदला नाम?
सूत्रों के अनुसार, नाम परिवर्तन का मुख्य उद्देश्य है:
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संस्थान को जन-केंद्रित पहचान देना
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आधुनिक लोकतांत्रिक मूल्यों को दर्शाना
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जनता के बीच शासन और प्रशासन की विश्वसनीयता व पारदर्शिता को मजबूत करना
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव सरकार की उस सोच को दर्शाता है, जिसमें प्रशासनिक संस्थाएं लोगों के और करीब लाई जा रही हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पहले राज भवन वह स्थान माना जाता था जहाँ राज्यपाल निवास करते हैं और राज्य की संवैधानिक गतिविधियाँ संचालित होती हैं।
नए नाम लोक भवन में “लोक” शब्द का अर्थ है—जनता, समाज, और लोकतंत्र।
यह नाम लोकतांत्रिक ढाँचे को और मजबूत बनाता है।
क्या बदलेगा?
नाम बदलने के बाद प्रशासनिक और दस्तावेजी प्रक्रियाओं में बदलाव होंगे:
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सरकारी पत्राचार में नया नाम दर्ज किया जाएगा
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राजकीय कार्यक्रमों की पहचान में संशोधन होगा
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नए साइनबोर्ड, दस्तावेज और रिकॉर्ड अपडेट किए जाएंगे
हालांकि भवन की भूमिका और कार्यप्रणाली पहले की तरह ही जारी रहेगी।
राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज
राज भवन का नाम बदलकर लोक भवन करने के फैसले ने राजनीतिक गलियारों में भी बहस छेड़ दी है।
कुछ लोग इसे जनतंत्र की भावना को मजबूत करने वाला कदम बता रहे हैं, जबकि कुछ इसे सरकारी ब्रांडिंग से जोड़कर देख रहे हैं।
लोग क्या कह रहे हैं?
रांची के स्थानीय नागरिकों और बुद्धिजीवियों ने इस फैसले पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ दीं:
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“लोक भवन नाम अधिक लोकतांत्रिक और समावेशी लगता है।”
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“यह बदलाव दर्शाता है कि राज्य संस्थान जनता के लिए हैं।”

