रांची के मोरहाबादी मैदान में टोटेमिक कुरमी/कुड़मी हुंकार महारैली में ‘जो कुरमी हित की बात करेगा वही झारखंड में राज करेगा’ की हुंकार करने वाले रांची के पूर्व सांसद रामटहल चौधरी कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। रामटहल चौधरी के कांग्रेस में शामिल होने की पटकथा लिखी जा चुकी है और कांग्रेस उन्हें रांची से अपना उम्मीदवार भी बनायेगी, उसका भी ‘खुलासा’ हो चुका है।
अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस को टक्कर देकर रांची संसदीय सीट से जीतते रहे रामटहल चौधरी भाजपा को कितनी टक्कर दे पायेंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में संजय सेठ को टिकट दे दिये जाने के बाद रामटहल चौधरी ने भाजपा छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। हालांकि इस चुनाव में उनकी जमानत जब्त हो गयी है। यह चुनाव हारने के बाद भी रामटहल चौधरी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा शांत नहीं हुई, इसलिए उन्होंने अपनी चिरप्रतिद्वन्द्वी पार्टी से ‘हाथ’ मिला लिया है। रामटहल चौधरी को उम्मीद है कि कांग्रेस और झामुमो तथा राजद के समर्थन से वह रांची सीट की चुनावी नैय्या पार लगा लेंगे। लेकिन उनकी यह महत्वाकांक्षा कितनी पूरी होगी, यह तो वक्त ही बतायेगा। फिलाह तो उनका अभी कांग्रेस में शामिल होना और रांची संसदीय सीट के लिए उनके नाम की घोषणा होना बाकी है।
अब सवाल यह उठता है कि अगर रामटहल चौधरी को कांग्रेस रांची का टिकट देती है तो फिर कांग्रेस के सबसे चर्चित चेहरे, दिग्गज नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय का क्या होगा। क्या रांची से टिकट नहीं मिलने की स्थिति में कांग्रेस उन्हें कहीं और जगह से चुनाव लड़ा सकती है या फिर उनके हाथ खाली ही रहेंगे।
रामटहल चौधरी का राजनीतिक करियर
- रामटहल चौधरी ने ओरमांझी के कुच्चू गांव में ग्राम पंचायत के मुखिया के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था।
- 1969 से 1971 और 1972 से 1977 तक रामटहल चौधरी बिहार विधान सभा के लिए चुने गए।
- 1977 से 1996 तक ओरमांझी ग्राम पंचायत के मुखिया रहे।
- 1988 में वह रांची में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने।
- 1988 और 1999 में फिर से लोकसभा के लिए चुने गए।
- 2014 में वह फिर से लोकसभा के लिए चुने गए।
- 2019 में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर रामटहल चौधरी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। लेकिन वह अपनी जमानत नहीं बना सके।
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