कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमिडिसिवर इंजेक्शन के कालाबाजारी की जांच पूरी हो गई है। आईपीएस अनिल पाल्टा के नेतृत्व में बनी स्पेशल टीम ने इस मामले की जांच पूरी कर ली है। इस मामले में तीन अलग-अलग आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। इसके अतिरिक्त एसआईटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर सृष्टि अस्पताल कैंपस में संचालित साईं कृपा मेडिकल एंड सर्जिकल का लाइसेंस रद्द किया गया है। वहीं रिम्स के दो कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है।
इन पर हुए आरोप गठित
आरोप पत्र संख्या 119/2021
- राजीव कुमार सिंह
- मनीष कुमार सिन्हा
पूरक आरोप पत्र संख्या 22/2022
- सुषमा कुमारी
पूरक आरोप पत्र संख्या 289/2023
- कविलाश चौधरी
- अंजू कुमारी
- डॉ सुधाकर देव
- अनीष कुमार सिन्हा
- पुनीत प्रजापति
- आशीष गुप्ता
क्या है फाइनल जांच रिपोर्ट
एसआईटी प्रमुख अनिल पाल्टा की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि ऊंचे दाम पर रेमिडिसिविर इंजेक्शन बेचे जाने को लेकर मामला दर्ज किया गया था। जांच के दौरान गवाहों के बयान, मोबाइल फोरेंसिक, कंप्यूटर फोरेंसिक, वॉयस स्पेक्टोग्राफी टेस्ट और केमिकल एनालिसिस रिपोर्ट के आधार पर कुल 250 रेमिडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी, अनधिकृत रूप से बिक्री, इस मामले में फर्जी दस्तावेज बनाने और सरकारी अस्पतालों से इंजेक्शन चोरी के आरोप प्रमाणित हुए।
क्या है रेमिडिसिविर घोटाला
रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का यह बहुचर्चित मामला तब सामने आया था, जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच लोगों की जान जा रही थी। तब रांची पुलिस की टीम ने कालाबाजारी मामले में कांके रोड निवासी राजीव कुमार सिंह को गिरफ्तार किया था। इस मामले में रांची के कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। इसके बाद इस केस के अनुसंधान की जिम्मेदारी सीआईडी को मिली थी। सीआईडी ने गिरफ्तार राजीव कुमार सिंह को जेल भेज दिया था। हाईकोर्ट के आदेश पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी मामले के अनुसंधान के लिए सीआईडी के तत्कालीन एडीजी अनिल पलटा के नेतृत्व में गठित एसआईटी को दी गई थी।