पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद झारखंड की राजनीतिक गतिविधियां काफी तेज हुई हैं। जेल से बाहर आने के बाद सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या चम्पाई सोरेन की सीएम कुर्सी की जायेगी और हेमंत सोरेन एक बार फिर से सीएम की कुर्सी सम्भालेंगे। हालांकि ये सभी अटकलें हैं, लेकिन इन अटकलों के लगने की वजहें भी हैं। सबसे पहले तो सीएम चम्पाई सोरेन के कई सरकारी कार्यक्रमों का अचानक रद्द किया जाना और फिर इंडी गठबंधन की बैठक आहूत करना। सीएम आवास में यह बैठक शुरू भी हो गयी है और इस बैठक में झामुमो, कांग्रेस और राजद के सभी मंत्री और विधायकों के साथ अन्य नेता भी उपस्थित हैं। इस बैठक में झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर और झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर भी उपस्थित हैं।
बैठक में किन-किन बातों की है सम्भावनाएं?
इंडी गठबंधन की सीएम आवास में हो रही बैठक के एक नहीं, कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि बैठक समाप्त होने के बाद ही यह पता चल पायेगा कि बैठक बुलाने का उद्देश्य क्या था। फिर भी जो अटकलें लग रही हैं, वह इस प्रकार हो सकती है-
- मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन कुर्सी खुद छोड़ने का ऐलान कर दें और हेमंत सोरेन को फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए आमंत्रित करें।
- एक स्थिति यह भी हो सकती है कि सोरेन परिवार का कोई और सदस्य (जैसे-कल्पना सोरेन) का नाम भी सीएम के लिए प्रस्तावित हो सकता है।
- अगर ये दोनों सम्भावनाएं न भी बनें तो गांडेय विधायक कल्पना सोरेन को झामुमो में कोई अहम स्थान दिया जा सकता है।
- बैठक में कैबिनेट की विस्तार पर कुछ चर्चा हो। आलमगीर आलम के मंत्री पद छोड़ने के बाद मंत्रिपद खाली है। उस स्थान के लिए नये मंत्री की घोषणा हो सकती है। इसके अलावा राज्य का 12वां मंत्रिपद वर्षों से खाली चल रहा है। हो सकता है, इसके लिए एक और मंत्री का नाम घोषित हो। पूर्व से ही जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी और बैद्यनाथ राम के नामों की चर्चा चल रही है।
- नगर निकाय चुनाव और कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनावों पर कोई रणनीति बने। क्योंकि अब विधानसभा चुनाव में भी ज्यादा समय नहीं है। लोकसभा चुनावों में भले ही झारखंड से इंडी गठबंधन ने कुछ सीटें जीती हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव की लड़ाई के लिए उसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है।
- विधानसभा चुनाव की लड़ाई इस बार 2019 के चुनाव से अलग होगी। क्योंकि तब भाजपा और आजसू अलग-अलग लड़े थे। जिसके कारण गठबंधन को भारी जीत मिली थी और वह सत्ता पर काबिज हुआ था। इसके अलावा जयराम महतो नामक एक और राजनीतिक चुनौती सामने आयी है। जयराम महतो की पार्टी झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (JBKSS) ने घोषणा कर दी है कि वह कई सीटों पर चुनाव लड़ेगी। यह सिर्फ इंडी गठबंधन के लिए ही नहीं, एनडीए के लिए भी बड़ा सिरदर्द साबित होगा।