आज मकर संक्रांति है. मकर संक्रांति यानी मांगलिक कार्यों और खुशियों की शुरुआत. मकर संक्रांति से वो सभी शुभ काम शुरू हो जाते हैं, जो खरमास की वजह से रुके थे. मकर संक्रांति से सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं. इसके बाद सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. आइए आपको बताते हैं कि इस बार मकर संक्रांति का पर्व क्यों खास रहने वाला है.
इस बार मकर संक्रांति पर अमृत सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग भी है. ज्योतिष में इन तीनों योग को बहुत ही शुभ माना गया है. मकर संक्रांति के इस तरह के शुभ योग में पूजा-पाठ, स्नान और दान करने से व्यक्ति को अनेक तरह के शुभ फल की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि मकर संक्रांति पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही उसकी किरणों से अमृत की बारिश होने लगती है. इस दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए. अगर आप मकर संक्रांति पर विशेष 5 सूर्य मंत्र का जाप करेंगे तो आपको निश्चित ह लाभ होगा.
सूर्य के पांच चमत्कारी मंत्र
ॐ घृणि सूर्य्यः आदित्यः ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ऊं सूर्याय नमः ऊं आदित्याय नमः ऊं सप्तार्चिषे नमः
मकर संक्रांति पर खिचड़ी का महत्व
मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने, खाने और दान करना बेहद खास माना जाता है. दरअसल, चावल को चंद्रमा, काली उड़द को शनि और हरी सब्जियां को बुध का प्रतीक माना जाता है. इसलिए संक्रांति पर खिचड़ी खाने से कुंडली में ग्रहों की स्थिती मजबूत होती है.
मकर संक्रांति पर दान का महत्व
ऐसा माना जाता है कि इस मौके पर किया गया दान सौ गुना होकर वापस फलीभूत होता है. संक्रांति के दिन घी-तिल-कंबल-खिचड़ी दान का खास महत्व है. ज्योतिष के जानकारों का ये मानना है कि मकर संक्रांति के दिन तिल गुड़ और खिचड़ी के दान से किस्मत बदल देता है. इस दिन पुण्य काल में दान देना, स्नान करना या श्राद्ध कार्य करना शुभ माना जाता है. मकर संक्रांति पर गंगा स्नान की विशेष महिमा बताई गई है.