23 सितंबर 2025 को शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन है, जो मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में यह दूसरा रूप साधना, तपस्या और संयम का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से ज्ञान, तप और वैराग्य की प्राप्ति होती है. आइए जानें नवरात्र के दूसरे दिन की पूजन सामग्री, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, भोग, मंत्र और आरती.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
नवरात्रि की दूसरी देवी मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम की प्रतीक हैं. उन्होंने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया. उनकी आराधना से साधक के भीतर धैर्य, तप, त्याग और संयम की शक्ति विकसित होती है. मां ब्रह्मचारिणी विद्या, विवेक और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती हैं. उनकी पूजा से जीवन में निर्णय लेने की क्षमता और सच्चे ज्ञान की प्राप्ति होती है. साथ ही घर में सुख-शांति, सौभाग्य और ग्रह-नक्षत्रों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है.
मां ब्रह्मचारिणी पूजा के शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:35 बजे से 05:22 बजे तक
- अभिजित मुहूर्त – सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक
- विजय मुहूर्त – दोपहर 02:14 बजे से 03:03 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:16 बजे से 06:40 बजे तक
- अमृत काल – सुबह 07:06 बजे से 08:51 बजे तक
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान कर पूजा का संकल्प लें.
- देवी को सफेद फूल, चंदन और अक्षत अर्पित करें.
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करें —
- “ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”
- “या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
- अंत में मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें और उन्हें मीठा प्रसाद अर्पित करें।