रांची : डिलीवरी के लिए अस्पताल अस्पताल भटकते भटकते फोटोजर्नलिस्ट की पत्नी सीरियस हो गई और बच्चे ने गर्भ में ही तोड़ दिया दम.
यह ऐसा दर्द है जिसकी दवा आज तक नहीं बनी. मां के साथ पूरा परिवार सदमे में है. ये हैं, रांची के फोटोजर्नलिस्ट विनय मुर्मू, जिनकी आंखों के आंसू थम नहीं रहे. रविवार शाम गर्भवती पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां अब तक महिला का चेकअप होता रहा था, मगर इस लॉकडाउन में सिक्योरिटी गार्ड के अलावा कोई दूसरा नहीं मिला. भागते-भागते डोरंडा अस्पताल गए, वहां नर्स ने कहा कि डॉक्टर नहीं है. थक हार कर विनय गुरु नानक अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर पत्नी की जान तो बचा ली, मगर अफसोस बच्चा नहीं बच सका.
सूबे के मुखिया हेमंत सोरेन भी इस घटना से मर्माहत हैं. उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है. वहीं सूबे की सेहत का जिम्मा संभालने वाले मंत्री बन्ना गुप्ता ने घटना पर दुख व्यक्त किया है, साथ ही स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले में जांच का निर्देश दिया है.
वहीं सिविल सर्जन का कहना है कि सदर अस्पताल जाने से पहले विनय मुर्मू ने उनसे बात की थी, जिसपर उन्होंने मरीज को रिम्स ले जाने के लिए कहा था. सिविल सर्जन ने भी इस हादसे पर अफसोस जताया है.
दरअसल कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए जाने की वजह से रिम्स और सदर अस्पताल में प्रसूति विभाग बंद था, लेकिन इस दौरान कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई. लापरवाही पर कार्रवाई होगी यह अलग बात है, लेकिन यह मां की सूनी हुई गोद का मरहम नहीं बन सकती. बड़ा सवाल यह है कि ऐसा कैसे और क्यों हुआ और आगे ऐसा न हो इसकी जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा ?