नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र के दौरान बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष के भारी हंगामे के बावजूद किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) बिल-2021 को पास कर दिया गया. संसद से पास यह बिल किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) एक्ट-2015 में संशोधन करता है. इस बिल को महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 15 मार्च 2021 को लोकसभा में पेश किया था. इसके साथ ही, सदन की कार्यवाही गुरुवार 11 बजे तक स्थगित कर दी गई.
बता दें कि राज्यसभा से पास किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) बिल-2021 करीब छह साल पुराने कानून में संशोधन करता है. इस बिल में कानून से संघर्षरत बच्चों की देखरेख और संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों से संबंधित प्रावधान हैं. बिल में बाल संरक्षण को मजबूत करने के उपाय किए गए हैं.
बिल के मुख्य प्रावधान
- संज्ञेय अपराध और सजा
राज्यसभा से पास किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) बिल-2021 में प्रावधान किया गया है कि किशोर न्याय बोर्ड उस बच्चे की छानबीन करेगा, जिस पर गंभीर अपराध करने का आरोप है. गंभीर अपराध वे होते हैं, जिनके लिए तीन से सात साल तक की जेल की सजा दी जाती है. बिल में यह जोड़ा गया है कि गंभीर अपराधों में ऐसे अपराध भी शामिल होंगे, जिनके लिए सात वर्ष से अधिक की अधिकतम सजा है, और न्यूनतम सजा निर्धारित नहीं की गई है या सात वर्ष से कम की सजा है.
इसके साथ ही, इस बिल में प्रावधान है कि जिस अपराध के लिए तीन से सात साल की सजा है, वह संज्ञेय (जिसमें बिना वॉरंट के गिरफ्तारी की जाएगी) और गैर-जमानती होगा. बिल इसमें संशोधन और प्रावधान करता है कि ऐसे अपराध गैर संज्ञेय होंगे.
- गोद लेने का प्रावधान
किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) बिल-2021 में भारत और किसी दूसरे देश के संभावित दत्तक माता-पिता द्वारा बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है. संभावित दत्तक माता-पिता द्वारा बच्चे को स्वीकार करने के बाद एडॉप्शन एजेंसी सिविल अदालत में गोद लेने का आदेश प्राप्त करने के लिए आवेदन करती है. अदालत के आदेश से यह इसकी प्रक्रिया शुरू होती है कि बच्चा दत्तक माता-पिता का है. बिल में प्रावधान है कि अब अदालत के स्थान पर जिला मेजिस्ट्रेट (अतिरिक्त जिला मेजिस्ट्रेट सहित) गोद लेने का आदेश जारी कर सकेंगे.
इस संशोधित बिल के अनुसार, अगर विदेश में रहने वाला कोई व्यक्ति भारत में अपने किसी रिश्तेदार के बच्चे को गोद लेना चाहता है, तो उसे अदालत से इसके लिए आदेश लेना होगा. बिल इसमें संशोधन किया गया है कि इसके स्थान पर जिला मेजिस्ट्रेट गोद लेने का आदेश जारी करेंगे.
इसके साथ ही बिल में इस बात का भी प्रावधान है कि जिला मेजिस्ट्रेट के आदेश से संबंधित व्यक्ति आदेश दिए जाने के 30 दिनों के भीतर डिविजनल कमीशनर के सामने अपील दायर कर सकता है. अपील दायर करने की तारीख से चार हफ्ते के अंदर उसे निपटाया जाना चाहिए.
- बाल कल्याण समिति
राज्यसभा से पास किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) बिल-2021 में प्रावधान है कि अगर बाल कल्याण समिति यह निष्कर्ष देती है कि किसी बच्चे को देखरेख और संरक्षण की जरूरत नहीं है, तो समिति के आदेश के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की जा सकती. बिल इस प्रावधान को हटाता है. एक्ट में प्रावधान है कि देखरेख एवं संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों के हित के लिए राज्य हर जिले में एक या एक से अधिक बाल कल्याण समिति गठित की जाएगी.