रांची : केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज के तहत राज्यों की उधारी क्षमता तीन फीसदी से बढ़ाकर पांच फीसदी करने से झारखंड बाजार से सात हजार करोड़ अधिक कर्ज ले सकेगा। इससे कल्याणकारी योजनाओं के लिए झारखंड में फंड की कमी होने की आशंका पर विराम लग गया है। झारखंड अभी तक 10 हजार 500 करोड़ तक कर्ज ले सकता था। अब 17 हजार पांच सौ करोड़ तक कर्ज ले सकेगा।
कोरोना संकट के कारण लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था से आर्थिक संकट झेल रहे झारखंड की मुश्किल इससे आसान हो जाएगी। गौरतलब है कि राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन कानून के तहत राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद की तीन फीसदी की सीमा तक कर्ज ले सकते हैं। कोरोना आपदा की विषम परिस्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों की मांग पर एफआरबीएम एक्ट के इस प्रावधान को शिथिल कर दिया है। चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार ने झारखंड का सकल राज्य घरेलू उत्पाद तीन लाख 43 हजार करोड़ के होने का अनुमान लगाया है। इस छूट के मिल जाने से राज्य के कर्ज लेने की क्षमता दोगुनी से थोड़ी कम तक पहुंच गई है।
3,43,000 करोड़ का है झारखंड का जीडीपी
17,500 करोड़ तक कर्ज ले सकेगा झारखंड