रांची: ज्य में कोरोना की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर झारखंड सरकार तैयारियों शुरू कर दी है। हर जिले में बच्चों के लिए 20 बेड का आईसीयू तैयार किया जा रहा है। अब सरकार राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स को बच्चों को कोविड से बचाने के लिए सेंटर ऑफ एक्सिलेंस घोषित की है।
राज्य के एडिशनल चीफ हेल्थ सेक्रेट्री अरुण सिंह की तरफ से इस संबंध में रिम्स के डायरेक्टर को निर्देश दिया गया है। इसके तहत रिम्स के तीन विभाग
1. डिपार्टमेंट ऑफ नियोनेटोलॉजी (छोटे बच्चों की देख), 2.डिपार्टमेंट ऑफ पिडियाट्रिक , 3.सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर मैनेजमेंट ऑफ सैम (SAM) चिल्ड्रेन को शामिल किया गया है। इनको कोविड के दौरान राज्य सरकार के मैटरनल ऑफ न्यू बॉर्न रिसोर्स सेंटर और आईडीएसपी के साथ समन्वय स्थापित कर काम करना होगा।
सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनने के बाद RIMS की ये होगी मुख्य जिम्मेदारी
1. कोविड-19 के मैनेजमेंट के प्रशिक्षण का काम इन्हीं के माध्यम से तकनीकी मार्गदर्शन पूरे राज्य को प्रदान किया जाएगा।
2. बच्चों के इलाज से संबंधित सभी प्रोटोकॉल पर मार्गदर्शन इनके माध्यम से ही दिया जाएगा।
3. राज्य में सर्वोत्तम संस्थान के रूप में इनकी जिम्मेदारी होगी कि सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में काम कर रहे शिशु रोग विशेषज्ञों को गाइड करें।
RIMS क्यों बना सेंटर फॉफ एक्सिलेंस
हेल्थ डिपार्टमेंट के अधिकारी ने ये सवाल पूछने पर बताया कि रिम्स राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। राज्य सरकार की तरफ से किसी भी स्वास्थ्य उपकरण का इस्तेमाल सबसे पहले रिम्स में किया जाता है। यहां के संसाधन राज्य के अन्य अस्पतालों से कहीं ज्यादा बेहतर हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ही सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का निर्णय लिया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में फिलहाल 35 बच्चे संक्रमित
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे गहन स्वास्थ्य जांच अभियान के तहत पिछले सात दिनों में 383791 घरों का सर्वे किया गया। इनमें 1 करोड़ 87 लाख 81 हजार 714 लोगों का सर्वे किया गया। लक्षण या एसओपी के आधार पर इनमें 1 लाख 30 हजार 507 व्यक्तियों की रैपिड एंटीजेन जांच की गई । इसमें 796 लोग पॉजिटिव आए हैं। संक्रमित व्यक्तियों में 18 वर्ष से नीचे के 35 बच्चे शामिल हैं।