झारखंड हाईकोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के मामले में एक फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि जब वर्ष 2019 में सरकार ने उक्त वर्ग के लोगों को 10 फीसद आरक्षण देने का निर्णय लिया है तो यह नियुक्ति पर उसी साल से लागू होगी ना कि पिछले साल से। दरअसल, रंजीत कुमार साह ने सहायक अभियंता की नियुक्ति को चुनौती देते हुए अदालत में याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि सहायक अभियंता नियुक्ति वर्ष 2015 से लेकर 2019 तक की है। इधर, झारखंड लोक सेवा आयोग ने संयुक्त सहायक अभियंता नियुक्ति मुख्य परीक्षा स्थगित कर दी है। झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जेपीएससी ने परीक्षा स्थगित किए जाने की सूचना जारी कर दी। यह परीक्षा 22 से 24 जनवरी तक होनेवाली थी।
राज्य सरकार ने 23 फरवरी 2019 को आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया और उसी के अनुसार नियुक्ति के लिए जेपीएससी को अधियाचना भेजी गई लेकिन इस नियुक्ति में वर्ष 2015 और 16 की वैकेंसी भी शामिल है। ऐसे में इस वर्ष में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता क्योंकि कानून वर्ष 2019 में लागू हुआ है। जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल व अधिवक्ता प्रिंस कुमार सिंह का कहना था कि सरकार की अधिसूचना के अनुसार ही जेपीएससी ने विज्ञापन निकाला है और नियुक्ति की जा रही है।
वहीं, सरकार का कहना था कि उन्हें ऐसा करने का अधिकार है। लेकिन अदालत ने सभी दलीलों को नकारते हुए कहा कि वर्ष 2019 में जब कानून को लागू किया गया है तो इसके पिछले वर्षों की वैकेंसी में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता। इस मामले में जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सहायक अभियंता विज्ञापन को रद किया जाता है। अब सरकार संशोधित अधियाचना जेपीएससी को भेजें और उसके अनुसार ही जेपीएससी फिर से एडवर्टाइजमेंट जारी करें। बता दें कि मेन एग्जाम के लिए 22 जनवरी से पूरे राज्य में परीक्षा होनी थी। इसके लिए 542 पोस्ट पर नियुक्ति की जा रही है।