देश में एक समान स्वास्थ्य सेवा मानदंड लागू करने की मांग उठी है. इसके लिए दिशा निर्देश जारी करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र-राज्यों से जवाब मांगा. याचिका में शीर्ष कोर्ट से कहा गया है कि वह संविधान व क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 (CEA) के अनुसार देश के नागरिकों को एक समान स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के दिशा निर्देश जारी करे. जस्टिस बीआर गवई व जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने याचिका पर जवाब देने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को चार सप्ताह का वक्त दिया है. यह याचिका जन स्वास्थ्य अभियान, पैशेंट्स राइट्स कैंपेन और केएम गोपकुमार ने दायर की है. इसमें मांग की गई है कि उक्त कानून के सारे प्रावधान लागू किए जाएं ताकि जनता को सस्ती व गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा सकें.
स्वास्थ्य सेवाओं के न्यूनतम मानकों का पालन व शुल्क तय किया जाए
याचिका में कहा गया है कि सीईए की धारा 11 और 12 में दी गई शर्तों के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं के न्यूनतम मानकों का पालन, प्रक्रियाओं और सेवाओं के लिए दरों का निर्धारण, मानक उपचार प्रोटोकॉल का पालन, स्वास्थ्य संस्थानों के पंजीकरण की शर्तों की अधिसूचना और नियमों के अमल के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है.
मरीजों के लिए बने शिकायत निवारण तंत्र
याचिका में शीर्ष कोर्ट से केंद्र व राज्य सरकारों को यह निर्देश भी देने की मांग की गई है कि सीईए की खामियों को दूर किए जाने तक जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मरीजों के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र बनाया जाए. इस जनहित याचिका में कहा गया है कि नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का कर्तव्य संविधान के अनुच्छेद 47 के तहत सरकार का दायित्व है. हालांकि, सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं कल्पना के अनुसार आगे नहीं बढ़ीं. केवल 30 फीसदी रोगियों का ही सरकारी अस्पतालों व संस्थाओं में इलाज हो पाता है, जबकि बाकी का इलाज निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा किया जाता है.
स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करने की जरूरत
याचिका में यह भी कहा गया है कि देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को बुनियादी ढांचा और पर्याप्त बजट प्रदान कर इसे तत्काल विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न केवल सामान्य समय में बल्कि कोविड महामारी जैसे महामारी के आपात हालातों में भी अधिकतम स्वास्थ्य सेवाएं सरकारी क्षेत्र द्वारा मुहैया कराई जा सकें.