पिछले तीन दशकों से हिंसक नक्सली वारदातों का साक्षी एवं शीर्ष माओवादी नेताओं की शरणस्थली रहे बूढ़ा पहाड़ पर रविवार को डीजीपी नीरज सिन्हा अपनी पूरी टीम के साथ पहुंचे. विगत कई वर्षों से किए जा रहे सुरक्षा बलों का प्रयास तब सफल होता दिखा जब पहली बार बूढ़ा पहाड़ पर नक्सलियों के वर्चस्व को खत्म कर पुलिस और सुरक्षा बलों के जवानों ने अपना वर्चस्व स्थापित करते हुए उसे नक्सलियों के चंगुल से मुक्त कराया. झारखंड पुलिस एवं सीआरपीएफ के संयुक्त बलों की इस सफलता पर डीजीपी स्वयं बूढा पहाड़ पहुंचे और स्थापित कैंप का निरीक्षण कर जाबांज जवानों को पुरस्कृत कर उनका हौसला बढ़ाया. उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर उनकी समस्याओं से रूबरू होते हुए उसका निराकरण करने की भी बात कही. उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि अब ना सिर्फ नक्सलियों के भय से वह मुक्त हैं बल्कि सुरक्षा बलों के द्वारा ग्रामीणों को अब पूरी सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी. उन्होंने ग्रामीणों के बीच रोजमर्रा की वस्तुओं का भी वितरण किया.
डीजीपी के नेतृत्व में एडीजी अभियान संजय आनंद लाटकर, सीआरपीएफ के आईजी अमित कुमार, आईजी अभियान ए वी होमकर स्पेशल ब्रांच के एसपी शिवानी तिवारी हेलीकॉप्टर से रविवार को पहुंचे तथा इस क्षेत्र से भागे हुए माओवादी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई पर रणनीति बनाई गई. अभेद दुर्ग रहा यह इलाका झारखंड,छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती माओवादी नेताओं का शरणस्थली भी रहा है. माओवादी के पोलित ब्यूरो सेंट्रल कमेटी के सदस्य विध्वंसक कार्रवाई की रणनीति बनाकर घटना को अंजाम देते रहते थे. बरामद बंकर और शस्त्रागार सुरक्षाबलों द्वारा ध्वस्त कर दिया गया है. उग्रवादी की ट्रेनिंग के रूप में मशहूर इलाके से कई हार्डकोर तैयार कर झारखंड के दूसरे क्षेत्रों में भेजे जाते थे.
अनगिनत पुलिस अभियानों का गवाह रहा बूढ़ा पहाड़
बूढ़ा पहाड़ पर विगत डेढ़- दो दशकों में अब तक चले अनगिनत अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. लेकिन फिर भी अभियान थमा नहीं. नक्सलियों ने पहाड़ तक पहुंचने वाले हर रास्ते पर आईडी बिछा रखा था लेकिन पिछले एक वर्षों से रणनीतिपूर्ण तरीके से सुरक्षाबलों द्वारा संयुक्त अभियान जिसमें मूल रूप से ऑपरेशन ऑक्टोपस अंततः कारगर साबित हुआ. कई दशकों के अथक प्रयास के बाद नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को लगभग मुक्त करा लिया गया है. नक्सली यहां अपना ठिकाना पुनः न बना पाए इसके लिए आवश्यक है कि सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित रहे. अब इस इलाके के ग्रामीणों के लिए अस्पताल, स्कूल, सड़क मूलभूत सुविधाओं का निर्माण कार्य प्रारंभ हो रहा है.