रांची : निजी वाहनों पर नंबर प्लेट के अलावा नेम प्लेट या दूसरा कोई अन्य बोर्ड लगाने पर पाबंदी होगी. हालांकि, सरकारी व न्यायिक पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को नेम प्लेट लगाने की छूट होगी. हाइकोर्ट के निर्देश पर परिवहन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर विभागीय मंत्री चंपई सोरेन के पास भेज दिया है. मंत्री के अनुमोदन के बाद इस पर मुख्यमंत्री की सहमति ली जायेगी. अंत में विभाग के स्तर पर इसकी अधिसूचना जारी होने के बाद नियम प्रभावी हो जायेगा.
तय प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकारी व न्यायिक पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को नेम प्लेट लगाने की छूट श्रेणी के आधार पर तय होगी. सीनियर लेवल पर पद नाम, सरकार का प्रतीक चिह्न और विभाग का नाम लिखने की अनुमति होगी. वहीं जूनियर लेवल पर केवल सरकार का प्रतीक चिह्न और विभाग का नाम लिखा जा सकेगा. प्रस्ताव में उक्त नियमों को नहीं माननेवालों के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई और आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है.
सरकारी व न्यायिक पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि लगा सकेंगे नाम, पद व सरकार का प्रतीक चिह्न, श्रेणी तय
परिवहन मंत्री के अनुमोदन के बाद मुख्यमंत्री के पास भेजा जायेगा प्रस्ताव, उसके बाद विभाग जारी करेगा अधिसूचना
नेम प्लेट/अन्य बोर्ड संबंधी नियम नहीं माननेवालों के लिए दंड और विधि सम्मत कार्रवाई का भी किया गया प्रावधान
हाइकोर्ट ने उठाये थे सवाल, अगली सुनवाई 12 फरवरी को
गजाला परवीन ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर वाहनों में नेम प्लेट और अन्य प्रकार के बोर्ड लगाने का मुद्दा उठाया था. 18 दिसंबर 2020 को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सवाल उठाया था कि जब वाहनों में लाल-पीली बत्ती लगाने पर रोक लगा दी गयी है, तो नेम प्लेट लगाने का क्या औचित्य है? अगर कोई नियम नहीं है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि गलत करनेवालों को इसकी छूट है.
विभाग इस मामले में नियम बनाये और दिशा-निर्देश जारी कर कार्रवाई करे. कोर्ट ने परिवहन सचिव के रवि कुमार को वाहनों पर नेम प्लेट व अन्य प्रकार के बोर्ड लगानेवालों के खिलाफ नियम बनाकर कार्रवाई करने के लिए छह हफ्ते का समय दिया था. अगली सुनवाई 12 फरवरी को होनी है.