डालटनगंज: झारखंड के एकमात्र पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में छत्तीसगढ़ से घुसे बाघ ने सोमवार की शाम तीसरे मवेशी को शिकार किया। इस बाघ को प्रवेश किए मंगलवार को पांचवा दिन रहा। बाघ ने यह शिकार पीटीआर के कुटकू वन क्षेत्र के एक गांव में किया है। इसके पूर्व बाघ ने आते के साथ ही शुक्रवार और शनिवा को दो बैल का शिकार किया था और इसके भक्षण करते तस्वीर कैमरे में कैद हुई थी। तस्वीर उप निदेशक प्रजेश जेना ने ली थी, जो वन्यप्राणियों की निगरानी के लिए निकले हुए थे। इसने गाय का कल आहार बनाया।
रिजर्व के क्षेत्र निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि कुटकू से दो किलोमीटर दूर मवेशी को मारा। इस बाघ से सतर्क रहने के लिए रिजर्व के वनरक्षियों का दल जन जागरूकता अभियान चला रहा है। इस बाघ पर रिजर्व प्रबंधन सतत निगरानी भी रख रहा है। बाघ नर है और उसकी उम्र करीब आठ साल है। एक बाघ का जीवन लगभग 15 से 16 साल का होता है।
क्षेत्र निदेशक ने बताया कि पलामू टाईगर रिजर्व के 1130 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 191 गांव है और इन्हीं गांव में वन्यजीवों के हमले वगैरह होने की आशंका रहती है, जहां पीटीआर प्रबंधन माल-मवेशी और मनुष्य की रक्षा में हमेशा सन्नद्ध रहते हैं।
1974 में वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम के लागू होने से ज्यादातर मामले हाथी, तेंदुआ, भालू, लकङ़बग्गा और बाघ द्वारा ही जन-धन के होने की शिकायत दर्ज है। शुरुआती समय में इसकी क्षेत्रफल 1026 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत था। बाद में 1130 वर्ग किलोमीटर अधिसूचित किया गया।
प्रथम गणना में बाघों की संख्या 40 बताई गई थी। एक समय 2018 भी आया, जब यहां बाघ की उपस्थिति शून्य उद्घोषित हुई थी और घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं किए थे। वन्यजीव अधिनियम लागू होने के पहले इस रिजर्व को पलामू बाघ योजना के नाम से जाना जाता था, जो अब पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के नाम से अधिसूचित एवं प्रसिद्ध है।