रांची: मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज को नामांकन के मामले में झारखंड हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज को अंतरिम राहत देने से इंकार करते हुए एनएमसी और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही यूजीसी को नोटिस जारी किया है। मामले में अगली सुनवाई 24 नवंबर को निर्धारित की है।
मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज ने नामांकन के लिए अनुमति नहीं दिए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान कॉलेज की ओर से अदालत को बताया गया कि मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज में 150 सीट पर नामांकन होना है, जो राज्यहित में है।
लेकिन एनएमसी ने यह कहते हुए नामांकन पर रोक लगा दिया है कि मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज को यूजीसी और केंद्र सरकार से अनुमति नहीं मिली है। क्योंकि मणिपाल विश्वविद्यालय अपने स्थापित राज्य से बाहर जमशेदपुर में टाटा की साझेदारी से मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज खोला गया है। कहा गया कि मणिपाल विश्वविद्यालय एक उत्कृष्ट एवं स्ववित्तपोषित संस्थान है।
ऐसे में अगर संस्थान अपने स्थापित राज्य से बाहर (ऑफ कैंपस) कॉलेज स्थापित करता है, तो उसे एनएमसी, यूजीसी और केंद्र सरकार से किसी प्रकार की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। मध्य एशिया में उनके कई संस्थान चल रहे हैं। उनकी ओर से गलती से कॉलेज में नामांकन के लिए एनएमसी को आवेदन दिया गया था और उसे रद करना गलत है।
एनएमसी की ओर से अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि मणिपाल विश्वविद्यालय ने अपने स्थापित राज्य से बाहर मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज खोला है। ऐसे में उन्हें एनएमसी, यूजीसी और केंद्र सरकार की अनुमति जरूरी है। कहा गया कि इस मामले में अंतरिम राहत देना उचित नहीं होगा। उनकी ओर से पूरे मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की गई जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा।