रांची: झारखंड की राजधानी रांची में 1691 से लग रहे जगन्नाथ रथयात्रा पर भी कोरोना वायरस का देखने को मिला। सुप्रीम कोर्ट ने पूरी के जगन्नाथ रथ यात्रा को लेकर सशर्त्त मंजूरी प्रदान कर दी, लेकिन रांची प्रशासन ने कोरोना वायरस के संक्रमण के रोकथाम और जनमानस की सुरक्षा को लेकर रथयात्रा स्थगित करने का आदेश जारी किया था, जिसके कारण मंदिर में सिर्फ पारंपरिक विधि-विधान के साथ पुजारी द्वारा भगवान जगन्नाथ की पूजा अर्चना की गयी। रांची के जगन्नाथ मंदिर में मंगलवार सुबह 5 से 7 बजे तक भगवान की प्रथम पूजा हुई, भगवान जगन्नाथ को चूड़ा, आम, मेला, साबूदाना का भोग लगाया गया, इसके बाद पुजरी ने परंपरा निभाते हुए पूजा अर्चना की। लेकिन मंदिर में दर्शनार्थियों के प्रवेश पर रोक रही। मौसीबाड़ी में दोपहर बाद भगवान जगन्नाथ के सिंहासन की पूजा की जाएगी और भोग लगाया जाएगा। रैफ के जवानों की निगरानी में पूजा-अर्चना और अन्य अनुष्ठान को पूरा किया जा रहा है। बड़ी संख्या में पुलिस बलों की भी तैनाती की गयी है। इस दौरान श्रद्धालुओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक रही। इससे पहले सोमवार की संध्या में मंदिर में नेत्रदान, पूजन और आरती के बाद भगवान के विग्रहों को मंदिर के आसन में विराजमान कराया गया। रांची के जगन्नाथपुर में साल 1691 से रथयात्रा मेले का आयोजन किया जा रहा था। इस रथ यात्रा मेले में रांची और आसपास के क्षेत्रों के अलावा विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु रथ खींचने आते थे, लेकिन वर्ष श्रद्धालुओं में निराशा देखने को मिली। मेले में हजारों दुकानें भी लगती थी और छोटे-बड़े व्यवसायियों को काफी फायदा होता था, बच्चों को भी वर्ष भर झूला और खिलौनों के लिए रथयात्रा मेले का इंतजार रहता था। लेकिन इस बार रथयात्रा मेले का आयोजन न होने से खेल, तमाशे, झूले और मेले में लगने वाली दुकानों के आनंद से भी लोगों को वंचित रहना पड़ा। जगन्नाथपुर न्यास समिति के सचिव विशेश सिंह ने बताया कि मेले का आयोजन न होने से आसपास के लोगों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है।
मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भगवान श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा के शुभ अवसर पर झारखण्डवासियों को बधाई व शुभकामनाएं दी है। मुख्यमंत्री ने कहा भक्तों से आग्रह है। आप पूजन कार्य में सामाजिक दूरी का पालन करें। अनावश्यक बाहर न निकलें। महाप्रभु सभी का कल्याण करें, ऐसी कामना करता हूं।