रांची : केंद्र सरकार की कोल ब्लॉक नीलामी की प्रक्रिया के विरोध में अब वाम दल भी उतर गये हैं. प्रदेश वाम दलों के नेताओं ने एक स्वर में कहा है कि 2 जुलाई को राज्य के सभी जिलों में केंद्र सरकार की कमर्शियल माइनिंग के विरोध में धरना प्रदर्शन, प्रतिरोध मार्च का आयोजन किया जाएगा.
वहीं मजदूर संगठनों के आवाहन पर 2 से 4 जुलाई के हड़ताल को वामदल के नेताओं ने समर्थन किया है. रविवार को राजधानी स्थित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रदेश कार्यालय में हुई बैठक में यह निर्णय हुआ है. बैठक में नेताओं ने कॉमर्शियल माइनिंग पर रोक के लिए हेमंत सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर किए जाने की कार्रवाई का भी स्वागत किया है.
यह बैठक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सह पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता की अध्यक्षता में हुई थी. इसमें वामदलों के नेताओं ने भागदारी की. बैठक में सचिव श्री मेहता के अलावे भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, सीपीआइएम के सचिव मंडल के सदस्य प्रकाश बीपलव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सहायक सचिव महेंद्र पाठक, मासस के नेता सुसांतो मुखर्जी मौजूद थे.
कोयला खनन से आदिवासियों के जीवन पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव
सचिव श्री मेहता ने मीडिया को बताया कि आगामी 7 जुलाई को एक बैठक आयोजित रांची में आयोजित की जाएगी. बैठक बुलाने का उद्देश्य कोल ब्लॉक नीलामी प्रकिया के विरोध में वामदलों के साथ सभी राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों को एकजुट करना है. वाम दलों का मानना है कि झारखंड संविधान की 5वीं अनुसूची के अंतर्गत आदिवासी विशिष्टता को सुरक्षित रखने के प्रति संवैधानिक दायित्व से आच्छादित राज्य है.
कोल ब्लॉक के नीलामी से जो वाणिज्यिक खनन होगा, उससे राज्य के आदिवासियों के जीवन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. निजी खनन मे केवल मुनाफा केंद्रीत रहने के कारण अवैज्ञानिक खनन की प्रक्रिया का खामियाजा भी आदिवासियों और अन्य गरीबों को भूगतना पड़ेगा. इसके अलावा पर्यावरणीय संतुलन, वनों का संरक्षण जैसे आवश्यक कार्यों पर भी कमर्शियल माइनिंग का विपरीत प्रभाव पड़ेगा. इसे देखते हुए वाम दल शुरू से ही कमर्शियल माइनिंग का विरोध करते आ रहें हैं.
हेमंत के जनपक्षीय फैसले के साथ हैं वाम दल
वाम दलों का कहना है कि हेमंत सरकार ने भी केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस निर्णय का वाम दल स्वागत करते है. दरअसल ऐसा कर हेमंत सरकार ने यह बता दिया है कि केंद्र सरकार के संरक्षण मे कॉर्पोरेट घरानों को फायदा के इस प्रयास के खिलाफ वह खड़ी है. वामदल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस जनपक्षीय फैसले के साथ है.
केंद्र की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आर-पार का संघर्ष होगा हड़ताल
श्री मेहता ने कहा कि जल, जंगल-जमीन और खनिज जैसी हमारी राष्ट्रीय संपदा को बचाने का संघर्ष अब एक नये दौर मे पहुंच गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि कोयले के वाणिज्यिक खनन के बहाने केंद्र सरकार कृषि, वन, पर्यावरण सभी कुछ कार्पोरेट घरानों के हवाले करने पर तूली हुईं है. कोयला मजदूरों ने देश की संपत्ति को बचाने के लिए देशभक्ति पूर्ण संघर्ष छेड़ा है.
देश का मजदूर वर्ग प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम से आक्रोशित है. इस परिस्थिति में कोयला कामगारों की एकजुटता और संघर्ष से ही इससे निपटा जा सकता है. आगामी 2 से 4 जुलाई तक कोयला कामगारों की होने वाली तीन दिवसीय संयुक्त हड़ताल केंद्र सरकार की जन विरोधी और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आर-पार के संघर्ष का प्रस्थान बिंदु होगा.