रांची: राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के स्थिति में अबतक कोई सुधार नहीं हो पाया है. शिक्षा मंत्री का लंग्स पूरी तरह से खराब हो चुका है. जिसके बाद उन्हें इक्मो मशीन पर रखकर स्थिति में सुधार की कोशिश की जा रही थी. स्थिति में कोई सुधार नहीं होता देख अब शिक्षा मंत्री के लंग्स ट्रांसप्लांट की जाएगी. इसके लिए कागजी प्रक्रिया चालू की जा चुकी है. शिक्षा मंत्री के लंग्स ट्रांसप्लांट के लिए ब्रेन डेड मरीज की तलाश की जा रही है.
ब्रेन डेड व्यक्ति का लंग्स दान के रूप में लिया जाता है
शिक्षा मंत्री का ईलाज कर रहे डॉ अपार जिंदल के अनुसार 10 दिनों तक जगरनाथ महतो को इक्मो मशीन में रखकर ठीक करने का प्रयास किया गया. पर, स्थिति मे कोई सुधार नहीं पाया गया. ऐसे में उनके सभी जरुरी जांच के बाद उनके लंग्स के ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया चालू कर दी गयी है. इसके लिए परिवार के सदस्य भी सहमत हो चुके हैं.
ब्रेन डेड व्यक्ति का लंग्स दान के रूप में लिया जाता है लंग्स. सबसे पहले देश में 29 अगस्त 2020 को पहली बार हुआ था लंग्स ट्रांसप्लांट 34 साल के व्यक्ति ने किया था दान. एमजीएम हेल्थकेयर अस्पताल में हार्ट एंड लंग्स ट्रांसप्लांट कार्यक्रम के निदेशक डॉ केआर बालाकृष्णन के नेतृत्व में ही कोरोना संक्रमित व्यक्ति का लंग्स ट्रांसप्लांट किया गया था.
इसके बाद भी कोरोना के संक्रमित एक अन्य व्यक्ति का लंग्स ट्रांसप्लांट किया गया था. इससे पहले देश में कभी लंग्स ट्रांसप्लांट नहीं किया गया था.
लंग्स ट्रांसप्लांट में 30 लाख तक का खर्च
लंग्स ट्रांसप्लांट भी हार्ट की तरह ही होता है. ब्रेन डेड व्यक्ति के शरीर से लंग्स दान के रूप में लिया जाता है, जिसे खराब फेफड़ावाले व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाता है. ट्रांसप्लांट की पूरी प्रक्रिया में 30 लाख रुपये तक खर्च आता है.
ट्रांसप्लांट के बाद व्यक्ति कई वर्षों तक आसानी से जीवित रह सकता है. हालांकि, अभी विश्व में एक व्यक्ति लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद 31 सालों से जीवित है. वैसे शरीर दूसरे के लंग्स को स्वीकार नहीं करती है, लेकिन दवाओं के माध्यम से यह तुरंत काम करने लगता है.
28 सितंबर को कोरोना संक्रमित मिले थे जगरनाथ महतो
राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो 28 सितंबर को कोरोना संक्रमित मिले थे. जिसके बाद वे रिम्स में भर्ती हुए थे. 2 अक्टूबर को उन्हें रांची के मेडिका अस्पताल में शिफ्ट किया गया था. जहां भी स्थिति में सुधार नहीं होने के बाद 19 अक्टूबर को उन्हें एयर एंबुलेंस से एमजीएम चेन्नई शिफ्ट किया गया था