भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार प्लेयर रहे महेंद्र सिंह धोनी ने अपने 41वें जन्मदिन पर इंग्लैंड में पत्नी साक्षी सिंह धोनी के साथ केक काटा। इस मोके पर ऋषभ पंत भी साथ रहे। जन्मदिन पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा है। लेकिन कम ही लोग जानते होंगे एमएस धोनी ने इस शिखर को छूने के लिए काफी संघर्षाें का सामना किया।
छठी क्लास से फुटबॉल की जगह क्रिकेट खेलना शुरू
एमएस धोनी के पिता पान सिंह रांची के मेकॉन कॉलोनी में रहते थे और यहीं धोनी ने अपने बचपन के साथियों के साथ खेलना शुरू किया। छठी क्लास में पढ़ने वाले धोनी प्रारंभ में फुटबॉल टीम के गोलकीपर थे, लेकिन अपने कोच की सलाह पर वे क्रिकेट में आ गये और शानदार विकेटकीपिंग के जरिये धोनी ने स्थानीय कमांडो क्रिकेट क्लब को कई मैच में जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इस बीच वीनू मांकड़ अंडर 16 चैंपियनशिप में उनके शानदार खेल को देखा और बाद में उन्हें रणजी टीम में शामिल किया गया, तो अपनी विकेटकीपिंग और बैटिंग के माध्यम से भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्त्ताओं के नजर में आये।
रेलवे टिकट कलेक्टर की नौकरी के बावजूद क्रिकेट प्रेम खत्म नहीं हुआ
22 साल के धोनी को वर्ष 2001 में पश्चिम बंगाल के खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टिकट कलेक्टर की सरकारी नौकरी मिली, लेकिन उनका लक्ष्य भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल होना था । यहां धोनी को इंटर रेलवे मैच में खेलने का मौका मिला और इसी मैच ने उनकी किस्मत बदल दी, टीम इंडिया के चयनकर्त्ताओं की नजर उनपर पड़ी और वे भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बन गये। वर्ष 2003 में पहली बार उन्हें टीम इंडिया में चुना गया,जहां पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। बाद में उन्हें एक के बाद एक कई सफलता मिलती चली गयी।
मुश्किलों में मुस्कराते रहने की खासियत
धोनी की एक सबसे बड़ी खासियत यह भी है कि वे मुश्किलों में भी मुस्कराते रहते है और उनके चेहरे की मुस्कान और अंदर की शांति उन्हें और पूरी टीम को सफलता दिलाने में बड़ी मदद करती है।