जेएमएम अपना 51वां स्थापना दिवस धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में मनाया। जहां सुबह से ही हजारों की संख्या में कार्यकर्ता पहुंचे। वहीं इस ऐतिहासिक आयोजन को लेकर पूरे शहर को पार्टी के बैनर और पोस्टर से पाट दिया गया। मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन , जेएमएम के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन सहित पार्टी के कई अहम पदाधिकारी और हजारों कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इस दौरान सीएम ने कहा कि हम व्यापारियों के जनप्रतिनिधि नहीं हैं। हम राज्य के आदिवासी, मूलवासी, दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़े वर्ग, गरीब, किसान लोगों का जनप्रतिनिधि हैं। हमें इन लोगों के पेट भरने की चिंता है न कि हमें अपने जेब भरने का।
मूलवासियों के हित में कानून बनने से यूपी-बिहार के लोगों के पेट में दर्द
अपने संबोधन में सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि व्यापारियों के जमात वाली पार्टी विपक्ष है। व्यापारियों की जमात तो इस पार्टी में है। उन्होंने कहा कि 1932 के खतियान आधारित नियोजन नीति लाते हैं, पर इसे असंवैधानिक करार दिया जाता है। अजीब हालत है। हमें तो समझ में नहीं आता है कि राज्य सरकार राज्य के आदिवासी-मूलवासी को अधिकार देने के लिए कानून बनाती है और पेट दर्द यूपी- बिहार के लोगों को होता है।
उन्होंने मौके पर कहा कि राज्य के मूलवासियों के हित में कानून बनाने से बाहरी लोगों को परेशानी होने लगती है। स्थिति यह है कि सरकार ने जिस कानून को बनाया, उसे 20 लोगों ने कोर्ट में चुनौती दी। उसे रद्द कराया। रद्द कराने वालों में 19 लोग यूपी बिहार के थे। संबोधन के दौरान सीएम ने लोगों से सवाल पूछा कि क्या राज्य के बच्चों को नौकरी में प्राथमिकता नहीं मिलनी चाहिए? कहा कि जो कानून इस सरकार बनाती है, तो उसे असंवैधानिक करार दिया जाता है। यही कानून कर्नाटक सरकार बनाती है, वहां के लोगों के हक और अधिकार के लिए आरक्षण बढ़ाती है, तो वहां के राज्यपाल उस विधेयक पर मुहर लगाकर दिल्ली भेज देते हैं। लेकिन, झारखंड में अगर आदिवासी-मूलवासी के अधिकार के लिए कानून बने, तो उसे संवैधानिक करार दिया जाता है।