रांची. कोरोना संकट ने झारखंड की अर्थव्यवस्था को हिला कर रखा दिया है. राज्यभर में मौजूद रेस्त्रां खस्ताहाल के दौर से गुजार रहे हैं. आमदनी का जरिया रूक जाने के कारण इनमें से कई रेस्टोरेंट अब बंद होने के कगार पर पहुंच गये हैं. राजधानी रांची के रेस्त्रांओं में खाली कुर्सियां पूरी कहानी बयां कर रही हैं. कोरोना लॉकडाउन ने प्रदेश भर में रेस्टोरेंट व्यवसाय की कमर तोड़ कर रख दी है. राज्यभर में करीब 8 से 10 हजार रेस्त्रां मौजूद हैं. इनमें से सिर्फ राजधानी रांची में दो हजार से ज्यादा रेस्टोरेंट हैं. लेकिन आमदनी का जरिया बंद होने के कारण कई रेस्टोरेंट्स में ताला लगने की नौबत आ गई है.
झारखंड बार रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन के सचिव रंजन कुमार बताते हैं कि आज प्रदेश के रेस्त्रां व्यवसाय को आर्थिक मदद और कई भुगतान से राहत की जरूरत है, क्योंकि कई गरीब-पेशेवर लोगों की जिंदगी इस व्यवसाय से जुड़ी है. अगर वित्तीय कमी की वजह से रेस्टोरेंट बंद होते हैं, तो कई परिवारों का जीवन प्रभावित होगा.
रेस्टोरेंट बंद, लेकिन खर्चा जारी
दरअसल रेस्टोरेंट संचालकों पर विपरीत परिस्तिथियों में कर्मचारियों को वेतन, बिजली के फिक्स बिल का भुगतान और किराए का दबाव भी है. इनका भुगतान आमदनी रुक जाने के बाद भी उन्हें करना पड़ रहा है. लिहाजा अब रेस्टोरेंट्स को आगे चलाने में कई संचालकों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है.
दरअसल प्रदेश भर में 40 हजार लोग रेस्टोरेंट व्यवसाय से जुड़े हैं. और करीब डेढ़ से दो लाख लोगों की रोजी-रोटी इस व्यवसाय के भरोसे चल रही है. ऐसे में संचालक अब रेस्टोरेंट्स को खोलने देने की मांग सरकार से कर रहे हैं.