अब हाईकोर्ट की इजाजत के बिना सरकार किसी भी एमपी और एमएलए के खिलाफ दर्ज मामले वापस नहीं ले सकती है. अपने एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सांसद और विधायकों पर दर्ज आपराधिक मामलों हाईकोर्ट की इजाजत के बिना वापस नहीं लिए जा सकते हैं. बता दें, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को लेकर स्पेशल कोर्ट बनाने और स्पीडी ट्रायल की बात कही गई थी.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने एमपी-एमएलए के खिलाफ स्पेशल कोर्ट बनाने के मुद्दे पर केन्द्र की ओर से कोई जवाब नहीं आने पर कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, सरकार को जवाब देने का आखिरी मौका दिया जा रहा है. अब इस मामले में 25 अगस्त को अगली सुनवाई होगी. तबतक सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि, सभी हाई कोर्ट के रजिस्टार जरनल अपने चीफ जस्टिस को एमपी और एमएलए के लंबित मामले के साथ-साथ केस निपटारे की पूरी जानकारी दें. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि, सीबीआई कोर्ट और अन्य अदालतें भी सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई जारी रखें.
बता दें, राजनीति में बढ़ते अपराधिक मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश भी दिया है. इस आदेश के बाद अब हाईकोर्ट की इजाजत के बिना सरकार किसी भी सांसद और विधायक के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले सरकार वापस नहीं ले सकती है.