साल 2008 में गुजरात के अहमदाबाद में हुए सीरियल बम धमाकों शामिल दोषियों को सजा सुना दी गई है. विशेष न्यायाधीश एआर पटेल की अदालत ने 49 अभियुक्तों में से 38 को फांसी की सजा सुनाई है. बाकी 11 दोषियों को उम्र कैद की सजा मिली है.
फैसले के बाद पुलिस घटना की जांच में जुट गई. रातों रात तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को क्राइम ब्रांच में शामिल कर तफ्तीश की जिम्मेदारी सौंपी गई. पुलिस विभाग के आला अधिकारी लीड की तलाश में अपने सूत्रों और मुखबिरों को एक्टिव कर मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश में जुट गए.
अहमदाबाद बम ब्लास्ट की जांच कर रहे अधिकारियों ने कई लीड पर काम किया लेकिन अभी तक वो कुछ भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए थे. इसी बीच जांच टीम में शामिल डीसीपी अभय चुडासमा को एक लीड मिली. किसी तरह उन्हें खबर मिली की भरुच में धमाकों में इस्तेमाल की गई कार देखी गई है. इसके बाद टीम रातों रात भरूच पहुंच गई. जांच के दौरान उस घर का पता चला जहां बम बनाया गया था. यहीं पुलिस के लिए पहली और कारगर लीड साबित हुई.
अहमदाबाद में बम ब्लास्ट के बाद पुलिस ने मकान मालिक से पूछताछ की तो एक फोन नंबर मिला इसके बाद कड़ी दर कड़ी सारे राज खुलते चले गए. इसके बाद क्राइम ब्रांच ने साढ़े सौ पुलिस कर्मियों और अधिकारियों की टीम बनाई. पूरी टीम ने सैकड़ों छापेमारी की. अपराधियों को पकड़ा पूछताछ की. इसका नतीजा निकला की घटना के महज 19 दिन बार विस्फोट से जुड़े 30 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद बाकी आतंकियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया. उस समय सभी आरोपी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से ताल्लुक रखते थे.
गौरतलब है कि, 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद विस्फोट में एक घंटे के भीतर 21 जोरदार बम धमाके हुए थे. इन धमाकों के बाद हर तरफ खून से सने शरीर और चीख पुकार ही बाकी रह गई थी. पुलिस ने ब्लास्ट केस में 20 एफआईआर दर्ज किए थे. वहीं, इसके अलावा सूरत में भी 15 एफआईआर दर्ज किए गए थे. गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में 13 साल आरोपियों पर मुकदमा चला.