रांची : कोरोना वायरस को देखते हुए पूरे देश में लॉकडाउन घोषित है. लॉकडाउन दौरान भी झारखंड में मानव तस्करी हुई. मिली जानकारी के अनुसार मार्च से लेकर 15 जून तक राज्य के अलग-अलग जिलों से 116 बच्चे लापता हुए. ये आंकड़े इससे अधिक भी हो सकते हैं. क्योंकि अनेक मामले तो दर्ज ही नहीं हो पा रहे हैं. सैकड़ों बच्चों के मां-बाप ऐसे हैं जो बिना मामला दर्ज कराये ही अपने बच्चों के लौटने की आस में बैठे हैं.
राजधानी रांची समेत झारखंड के अलग-अलग जिलों से हर दिन औसत दो बच्चे गायब हो रहे हैं. वर्ष 2019 में 377 बच्चों के गायब होने की शिकायत दर्ज की गयी थी. जिसमें से पुलिस ने 126 लड़के व 123 लड़कियों समेत कुल 229 बच्चों को बरामद किया. वहीं 148 बच्चों का सुराग नहीं मिल पाया था.
मानव तस्करी के सबसे अधिक मामले झारखंड में
मानव तस्करी और देह व्यापार के लिए नाबालिग को खरीदने से संबंधित सबसे अधिक मामले झारखंड में दर्ज किये गये. नेशनल एनसीआरबी द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट इस तथ्य की पुष्टि करती है. यह रिपोर्ट वर्ष 2018 में जुटाये गये आंकड़ों के आधार पर तैयार की गयी है.
एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में देश भर में मानव तस्करी को लेकर कुल 2367 केस दर्ज किये गये थे. इनमें सबसे अधिक 373 मामले झारखंड के थे. दर्ज मामलों में 18 वर्ष से कम उम्र के 17 नाबालिग लड़के और 314 नाबालिग लड़कियां मानव तस्करी का शिकार हुई थीं. जबकि,18 वर्ष से अधिक के 24 युवक और 78 युवतियां मानव तस्करी का शिकार हुईं. इस तरह कुल 433 लोग मानव तस्करी के शिकार हुए. पुलिस ने वर्ष 2018 में ट्रैफिकिंग के शिकार 158 लोगों को मुक्त कराया.
हर साल 30 से 35 हजार युवक-युवतियों की होती है तस्करी
जानकारी के मुताबिक 30 से 35 हजार युवक-युवतियों की तस्करी हर साल हो रही है. पुलिस की नजर में मानव तस्करी का मामला भले ही कम हुआ है, लेकिन हकीकत में मानव तस्करी कम नहीं हुई है. अब मानव तस्करी से ज्यादा मामले नवजात की तस्करी के आ रहे हैं. पहले इसका केंद्र दिल्ली था लेकिन अब मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, राजस्थान व गुजरात में भी ये अपराध हो रहा है.