पटना: सियासी गलियों में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा अगर किसी बात की है, तो वो है पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला. अब तेजस्वी यादव के चारों ओर 22 सुरक्षाकर्मियों की एक मजबूत दीवार खड़ी होगी. यह है Z कैटेगरी सुरक्षा. एक ऐसा सुरक्षा कवच, जिसके अंदर परिंदा भी पर नहीं मार सकता.
तेजस्वी यादव को पहले Y+ कैटेगरी की सुरक्षा मिली हुई थी, जिसमें उनके साथ 11 जवान रहते थे. लेकिन हाल के दिनों में माहौल बदल गया. उनकी मां और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने खुलकर कहा था कि उनके बेटे की जान खतरे में है. राबड़ी देवी ने आरोप लगाया कि तेजस्वी पर पहले ही 4 बार हमले हो चुके हैं, और अगर सुरक्षा नहीं बढ़ाई गई तो किसी भी वक्त अनहोनी हो सकती है.
सुरक्षा में कौन-कौन?
सरकार ने खतरे का आकलन किया और अब तेजस्वी को Y+ से अपग्रेड कर Z कैटेगरी सुरक्षा दे दी गई. इसका मतलब है कि अब उनके साथ दिन-रात 22 हथियारबंद जवान रहेंगे. इनमें 4 से 6 कमांडो होंगे—NSG, CRPF, ITBP या दिल्ली पुलिस जैसी विशेष बलों से—और बाकी पुलिसकर्मी होंगे, जो नजदीकी सुरक्षा और एस्कॉर्ट ड्यूटी संभालेंगे.
सरकार ने खतरे का आकलन किया और अब तेजस्वी को Y+ से अपग्रेड कर Z कैटेगरी सुरक्षा दे दी गई. इसका मतलब है कि अब उनके साथ दिन-रात 22 हथियारबंद जवान रहेंगे. इनमें 4 से 6 कमांडो होंगे—NSG, CRPF, ITBP या दिल्ली पुलिस जैसी विशेष बलों से—और बाकी पुलिसकर्मी होंगे, जो नजदीकी सुरक्षा और एस्कॉर्ट ड्यूटी संभालेंगे.
गाड़ियों का काफिला
तेजस्वी जहां भी जाएंगे, उनके आगे-पीछे सुरक्षा वाहनों का काफिला होगा. कम से कम एक एस्कॉर्ट कार हमेशा उनके साथ चलेगी. ये जवान न सिर्फ हथियारों से लैस होंगे, बल्कि हर तरह की आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई करने के लिए प्रशिक्षित हैं.
तेजस्वी जहां भी जाएंगे, उनके आगे-पीछे सुरक्षा वाहनों का काफिला होगा. कम से कम एक एस्कॉर्ट कार हमेशा उनके साथ चलेगी. ये जवान न सिर्फ हथियारों से लैस होंगे, बल्कि हर तरह की आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई करने के लिए प्रशिक्षित हैं.
Z कैटेगरी सुरक्षा किसको?
Z कैटेगरी सुरक्षा भारत में सिर्फ चुनिंदा लोगों को मिलती है—राज्यों के मुख्यमंत्री, बड़े राजनीतिक चेहरे, नामी उद्योगपति या वो लोग जिन पर खतरे का स्तर काफी ऊंचा होता है. Z+ और SPG से यह एक पायदान नीचे है, लेकिन इसके बावजूद इसे बेहद मजबूत और अभेद्य माना जाता है. इस सुरक्षा कवच के बाद अब तेजस्वी के काफिले में घुस पाना तो दूर, उनके 50 मीटर के दायरे में भी बिना अनुमति जाना आसान नहीं होगा. उनके घर से लेकर चुनावी सभाओं तक, एयरपोर्ट से लेकर सड़क के छोटे मोड़ों तक—हर जगह ये सुरक्षा घेरे की तरह उनके साथ रहेगी.
Z कैटेगरी सुरक्षा भारत में सिर्फ चुनिंदा लोगों को मिलती है—राज्यों के मुख्यमंत्री, बड़े राजनीतिक चेहरे, नामी उद्योगपति या वो लोग जिन पर खतरे का स्तर काफी ऊंचा होता है. Z+ और SPG से यह एक पायदान नीचे है, लेकिन इसके बावजूद इसे बेहद मजबूत और अभेद्य माना जाता है. इस सुरक्षा कवच के बाद अब तेजस्वी के काफिले में घुस पाना तो दूर, उनके 50 मीटर के दायरे में भी बिना अनुमति जाना आसान नहीं होगा. उनके घर से लेकर चुनावी सभाओं तक, एयरपोर्ट से लेकर सड़क के छोटे मोड़ों तक—हर जगह ये सुरक्षा घेरे की तरह उनके साथ रहेगी.
क्या बदलेगी तस्वीर?
राजनीतिक गलियारों में इस फैसले को लेकर अलग-अलग चर्चा है. समर्थक मानते हैं कि ये कदम देर से सही, लेकिन जरूरी था. वहीं विपक्ष इसे ‘सियासी सहानुभूति’ बटोरने का तरीका बता रहा है. लेकिन जो भी हो, अब तेजस्वी यादव के आसपास इतनी कड़ी सुरक्षा होगी कि उनके नजदीक पहुंचना किसी भी आम शख्स के लिए नामुमकिन होगा. अब देखना ये है कि Z कैटेगरी सुरक्षा मिलने के बाद तेजस्वी का राजनीतिक सफर कितना बेफिक्र और सुरक्षित हो पाता है, लेकिन एक बात तय है—उनके चारों ओर अब चौबीसों घंटे चौकन्ना सुरक्षा कवच रहेगा.
राजनीतिक गलियारों में इस फैसले को लेकर अलग-अलग चर्चा है. समर्थक मानते हैं कि ये कदम देर से सही, लेकिन जरूरी था. वहीं विपक्ष इसे ‘सियासी सहानुभूति’ बटोरने का तरीका बता रहा है. लेकिन जो भी हो, अब तेजस्वी यादव के आसपास इतनी कड़ी सुरक्षा होगी कि उनके नजदीक पहुंचना किसी भी आम शख्स के लिए नामुमकिन होगा. अब देखना ये है कि Z कैटेगरी सुरक्षा मिलने के बाद तेजस्वी का राजनीतिक सफर कितना बेफिक्र और सुरक्षित हो पाता है, लेकिन एक बात तय है—उनके चारों ओर अब चौबीसों घंटे चौकन्ना सुरक्षा कवच रहेगा.